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एसी बस से स्कूल आते-जाते हैं सरकारी स्कूल के बच्चे

अभिभावकों के सहयोग से हेडमास&#x

94D;टर ने बदल दी गांगेवीर स्कूल की सूरत

मक / मधुवन। निजी स्कूलों को तरह सरकारी स्कूल के बच्चों को एसी बस की सुविधा सपनों सरीखा है। लेकिन ये सुविधा मधुबन तहसील के गांगवीर प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को मिल रही है। यहां वर्तमान में दूरदराज के 170 विद्यार्थी एसी और नान एसी बस से स्कूल आते-जाते हैं। गांगवीर स्कूल आजमगढ़ मंडल का पहला स्कूल है, जहां 40 गांवों के ग्रामीणों के सहयोग से यह बदलाव आया है। बस में इस ससमय कुल 543 बच्चे हैं।

गांगवीर स्कूल के हेडमास्टर

अशोक सिंह ने बताया कि उन्होंने स्कूल में 2018 में कार्यभार संभाला था। उस समय स्कूल में 104 छात्र पंजीकृत थे। दूरदराज के कुछ

अभिभावकों ने अपने बच्चों को ऑटो से भेजने की बात कही। यह कवायद भी हुई, लेकिन यह नियमित नहीं हो सकी। इस दौरान बच्चों की संख्या बढ़कर 272 हो गई।

एसी बस में बैठे गांगेयीर प्राथमिक विद्यालय के बच्चे संवाद

अभिभावकों ने वाहन के सिलसिले में दोबारा बात की।

इसके बाद अभिभावकों और स्वयं के प्रयास से वर्ष 2018 में 12 लाख में एसी बस

चार शिक्षकों,

बसों को संचालित करने स्कूल हेडमास्टर ने बताया कि दोनों बसों के लिए सहयोग

के लिए दो चालक रखे गए हैं। इनका वेतन करीब 21 हजार और डीजल में करीब 20 हजार महीने खर्च आता है। दोनों बसों का खर्च निकालने के लिए हर माह बस सफर करने वाले बच्चों के अभिभावक तीन सौ रुपये माह देते हैं। इसके अलावा जनसहयोग से भी राशि मिलती है। बताया कि गर्मी के दो माह के अवकाश में इन बसों को वैवाहिक कार्यक्रमों में भी भेज दिया जाता है, इससे दो से ढाई लाख रुपये की आय हो जाती है। इसके अलावा स्कूल का स्टाफ भी सहयोग करता है।

40 गांवों के अभिभावक करते हैं सहयोग: पांती, नरायनपुर, भवानी सरया, कटपराशंकर, फतहपुर, लठिया, जमीन मनौली, जजली, बहरामपुर, हसनपुर, उन्दुरा सहित 40 गांवों के सौ से अधिक ग्रामीण स्कूल से जुड़े हैं। हेडमास्टर ने बताया कि 30 बच्चे किराए के मकान में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। हर वर्ष बच्चों की संख्या बढ़ रही है, इस कारण अगस्त में ही तो एडमिशन का बोर्ड लगाना पड़ता है। बताया कि स्कूल में चार स्थायी शिक्षक तो है ही, छात्र संख्या अधिक होने पर छह निजी शिक्षक रखे गए हैं। निजी शिक्षकों का भुगतान जन सहयोग से किया जाता है।

खरीदी गई। इससे दूरदराज के 50 बच्चों को स्कूल ले जाया और छोड़ा जाने लगा। वर्ष 2020 में स्कूल में बच्चों की संख्या 390 होने पर एक और बस की जरूरत महसूस हुई। आते-जाते हैं। संवाद

इस पर स्कूल शिक्षकों और अभिभावकों की मदद तथा लोन से एक नान एसी बस खरीदी गई। दोनों बसों से 170 छात्र स्कूल आते जाते है।

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