राज्य सरकार द्वारा जून में किए गए स्थानांतरण के बाद अब पदोन्नति की जा रही है, जिनमें सरकार पूर्ण रूप से मनमानी कर रही है। छात्र-शिक्षक अनुपात और स्वीकृत पदों में डेटा भिन्न पाया जा रहा है। यहां तक कि सरकार द्वारा स्थानांतरण के समय जिन जिलों में पद शून्य किए गए थे आज उन जिलों में पद दिखाए जा रहे हैं। लंबे समय से स्थानांतरण की लड़ाई लड़ रहे शिक्षक हिमांशु राणा ने बताया कि स्थानांतरण के समय 12 जिलों में प्राथमिक विद्यालय के सहायक शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए पद शून्य दिखाए थे और उच्च प्राथमिक में 45 जिलों में सहायक शिक्षकों के पदों को शून्य दिखाया गया था और अब जब पदोन्नति की प्रक्रिया गतिमान है तो वे जिले जहां स्थानांतरण के समय उच्च प्राथमिक विद्यालों में पदों को शून्य किया था उनमें गोरखपुर में 1676 स्वीकृत पद, फिरोजाबाद में 576 पद, इटावा में 600, जालौन 187, बरेली में 327, रामपुर में 819 । हिमांशु राणा ने बताया कि सरकार ने स्थानांतरण के समय जिन जिलों में पदों की संख्या शून्य की थी आज वहां पदोन्नति के समय पद कैसे दिखाए जा रहे हैं इससे शासन की मंशा साफ नजर आती है कि चुनावी माहौल में स्थानांतरण और पदोन्नति करना महज आंकड़ेबाजी है। उन्होंने बताया अधिकारियों द्वारा की जा रही मनमानी को कोर्ट में दिखाया जाएगा और जो छल आम शिक्षक के साथ हुआ है उसको बेनकाब किया जाएगा।
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