Sat. Jul 5th, 2025

अल्पसंख्यक कॉलेजों के प्राचार्य के पदों पर परीक्षा के माध्यम से भर्ती की जाएगी और इस भर्ती की जिम्मेदारी शिक्षा सेवा चयन आयोग के पास होगी। पहले प्रबंधन के माध्यम से प्राचार्य के पद पर नियुक्ति की जाती थी। अल्पसंख्यक कॉलेजों में प्राचार्य के रिक्त पदों की गणना जल्द ही शुरू कराई जाएगी। अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में परीक्षा और इंटरव्यू के माध्यम से ही प्राचार्य के पद पर भर्ती होती है। इससे पूर्व विज्ञापन संख्या-49 के तहत वर्ष 2019 में अशासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य के 290 पदों पर भर्ती आई थी और वर्ष 2020-21 में इस भर्ती के चयनितों को नियुक्ति मिली थी। हालांकि, कई चयनितों ने प्रबंधन से विवाद या अन्य कारणों से नियुक्ति के बाद इस्तीफा दे दिया। इस वजह से अशासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य के तकरीबन 60 पद खाली हैं। प्रदेश में कुल 310 अशासकीय महाविद्यालय और 21 अल्पसंख्यक महाविद्यालय हैं। नई व्यवस्था के तहत उच्च शिक्षा निदेशालय अब 331 महाविद्यालयों में प्राचार्य के रिक्त पदों का अधियाचन शिक्षा सेवा चयन आयोग को भेजेगा और आयोग अधियाचन के आधार भर्ती करेगा। ऐसे में अल्पसंख्यक महाविद्यालयों में भी लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर प्राचार्य के पदों पर भर्ती की जाएगी। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। चार जून को लोकसभा चुनाव के तहत मतगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आयोग नई भर्तियों पर भी काम शुरू कर देगा। प्राचार्य के पद पर पांच साल से कोई नहीं भर्ती नहीं हुई है। ऐसे में आयोग इस भर्ती को प्राथमिकता दे सकता है। वहीं, जून में बड़ी संख्या में प्राचार्यों की सेवानिवृत्ति भी होती है। ऐसे में उच्च शिक्षा निदेशालय जून के अंत में रिक्त पदों की गणना शुरू करा सकता है और जुलाई में रिक्त पदों का अधियाचन शिक्षा सेवा चयन आयोग को भेज सकता है। निदेशालय के सूत्रों का कहना है कि अल्पसंख्यक कॉलेजों में प्राचार्यों के ज्यादातर पद भरे हैं, क्योंकि वहां प्रबंधन लगातार नियुक्ति करता रहता है। भविष्य में इन पदों पर भर्ती आयोग वे माध्यम से होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *