प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों पर लाखों रुपये का जुर्माना लगने के पीछे एक बड़ी वजह नियमित प्रधानाचार्य का न होना भी है। ज्यादातर कॉलेज कार्यवाहक प्रधानाचार्य के भरोसे चल रहे हैं। कई कार्यवाहक प्रधानाचार्य ऐसे भी हैं, जो इसकी योग्यता भी नहीं रखते हैं। ऐसे में आशंका है कि नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) इस पर भी सवाल उठा सकती है। ऐसे में अब सभी कॉलेजों का नए सिरे से ब्योरा मांगा गया है। इसमें प्रधानाचार्य, शिक्षक सहित अन्य सभी खाली पदों और एमबीबीएस व एमएस-एमडी की सीटों का ब्योरा मांगा गया है।एनएमसी ने प्रदेश के 18 सरकारी मेडिकल कॉलेजों पर 87 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जबकि अन्य कॉलेजों की सूची दूसरे चरण में आनी है। जुर्माना लगने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग की नींद उड़ गई है। विभाग की ओर से ब्योरा जुटाया जा रहा है। इस संबंध में शनिवार को सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को एक प्रोफार्मा भेजा गया है। इसमें खाली पदों और एनएमसी के नियमों के अनुसार कौन-कौन सी व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हैं, इसके बारे में जानकारी मांगी गई है। एनएमसी के नियमों के विपरीत कई विभागाध्यक्षों को कार्यवाहक प्रधानाचार्य का जिम्मा दिया गया है। इतना ही नहीं हरदोई, प्रतापगढ़ सहित कई मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचायों को दो-दो मेडिकल कॉलेजों का कार्यभार सौंपा गया है। सूत्रों के मुताबिक भविष्य में उठने वाले इन सवालों का भी विभाग की ओर से अभी से जबाब ढूंढ़ा जा रहा है, क्योंकि जब एनएमसी के प्रोफार्मा पर आवेदन किया जाएगा तो उसमें यह बताना होगा कि संबंधित कॉलेज में प्रधानाचार्य कौन है?