Wed. Jan 29th, 2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) से बगैर मान्यता के चल रहे बेसिक स्कूलों के मामले में सख्त संज्ञान लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि ऐसे स्कूलों पर क्या कारवाई की गई है? कोर्ट ने इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर चार हफ्ते में राज्य सरकार के अफसरों को जवाब के साथ कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने लखीमपुर खीरी जिले के इदू की याचिका पर दिया। याचिका में ऐसे स्कूलों के चलाने का मुद्दा उठाया गया है जो आरटीई अधिनियम 2009 और इसके 2011 में बने नियमों के तहत बगैर मान्यता लिए चलाए जा रहे हैं। याची ने ऐसे सभी स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है। याची का कहना था कि बिना मान्यता वाले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है। इस मामले की खबरें प्रकाशित होने के बाद उसने शासन से इसकी शिकायत की लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई।याची ने याचिका में पहले सिर्फ लखीमपुर खीरी जिले में चल रहे ऐसे स्कूलों का मुद्दा उठाया था। लेकिन, कोर्ट ने मामले की अहमियत को देखते हुए संज्ञान लेकर याचिका का क्षेत्र पूरे प्रदेश के लिए बढ़ा दिया। कोर्ट ने कहा प्रदेश में ऐसे बहुत स्कूल हैं जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि आरटीई अधिनियम 2009 की धारा 18 में खास तौर पर प्रावधान है कि सरकारी स्कूलों के अलावा, ऐसा कोई भी स्कूल संबंधित प्राधिकारी से मान्यता लिए बगैर चलाया नहीं जायेगा।कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ याचिका पर चार हफ्ते में अफसरों को जवाब के साथ कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को नियत की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *