बेसिक स्कूलों में मंगलवार को भी शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी नहीं लगाई। शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर पढ़ाया और पहले की तरह ऑफलाइन हाजिरी लगाई। शिक्षक अपनी मांगों पर अड़े हैं। वहीं शिक्षा विभाग भी ऑनलाइन हाजिरी के अपने फैसले में बदलाव करने को तैयार नहीं है। प्रदेश के बेसिक स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी के लिए काफी समय से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए शिक्षकों को प्रति स्कूल दो-दो टैबलेट भी दिए गए हैं। सरकार ने आदेश दिए थे कि शिक्षकों के साथ ही छात्रों की ऑनलाइन हाजिरी और एमडीएम सहित 12 रजिस्टरों का ब्योरा ऑनलाइन दर्ज करना है। पहले एक जुलाई से ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करानी थी। उसके बाद 15 जुलाई तक मोहलत दे दी गई। फिर अचानक आठ जुलाई से ऑनलाइन हाजिरी के आदेश कर दिए गए। शिक्षकों सोमवार की तरह मंगलवार को भी इसका विरोध किया। उन्होंने काली पट्टी बांधकर पढ़ाया। शिक्षकों का कहना है कि दूर-दराज से आने वाले शिक्षकों के लिए यह संभव ही नहीं है। उनका कहना है कि देर होने पर सीधे अनुपस्थित दिखाकर वेतन कटौती का प्रावधान गलत है। दो या तीन बार लेट होने पर एक एक छुट्टी काटने तक की बात तो ठीक है लेकिन वेतन कटौती और सर्विस ब्रेक जैसी व्यवस्था गलत है।सीएम को लिखा पत्र : प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षकों की दिक्कतें अधिकारियों को समझनी चाहिए। यदि कोई निर्णय गलत है तो उसमें सुधार करना चाहिए। एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा है कि अधिकारियों ने यह व्यवस्था घूस खोरी के लिए लागू की है। उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर कहा है कि इसे तुरंत बंद करवाया जाए। शिक्षकों की समस्याओं का समाधान किया जाए। उनसे पढ़ाई के अलावा दूसरे काम न लिए जाएं।प्रमुख सचिव और डीजी की अपील शिक्षकों के विरोध के बीच प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा एमकेएस सुंदरम और महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने शिक्षकों से अपील की है कि वह ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराएं। अब आधे घंटे का उन्हें अतिरिक्त समय दिया गया है। विद्यालय एक या दो घंटे देर से आने से विद्यार्थियों की पहली दो कक्षाएं ढंग से संचालित नहीं हो पातीं। विद्यार्थियों का हित सर्वोपरि है। उप्र बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि शिक्षकों के ऊपर जबरन इस व्यवस्था को थोपा जा रहा है।