परिषदीय विद्यालयों में तैनात गुरुजन व कर्मचारियों की उपस्थिति, आगमन व प्रस्थान का समय आदि डिजिटल उपस्थिति पंजिका में अंकित करने की व्यवस्था सोमवार से प्रभावी हुई है। पांच दिन बीतने के बाद भी अब तक एक भी डिजिटल उपस्थिति नहीं हो सकी है।विभिन्न शिक्षक संगठनों के आह्वान पर जिले भर के शिक्षक लगातार विरोध कर रहे हैं। विद्यालयों में शिक्षक बांह पर काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य कर रहे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ के बैनर तले विभिन्न शिक्षक संगठनों ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री को संबोधित 12 सूत्री ज्ञापन प्रशिक्षु आइएएस सुशांत कुमार को सौंपकर डिजिटलाइजेशन व्यवस्था समाप्त किए जाने की मांग की है। आदेश आते ही शुरू किया विरोध जनपद में 1814 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व कंपोजिट समेत 11 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में आठ जुलाई से शिक्षकों के साथ छात्र उपस्थिति एवं मध्यान्ह भोजन पंजीकरण भी डिजिटल रूप से किया जाना प्रस्तावित था। इसके लिए बीएसए ने समस्त प्रधानाचार्यों को निर्देश जारी कर दिए थे। आदेश जारी होते ही शिक्षक संगठनों ने इसका मुखर विरोध शुरू कर दिया था। संगठनों के आह्वान पर शिक्षकों की एकजुटता से एक भी डिजिटल उपस्थिति नहीं हुई है।शुक्रवार को दिए ज्ञापन में संघ के मंडलीय महामंत्री अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि प्रदेश में एक अप्रैल 2004 के बाद नियुक्त सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित किया जाए। बेसिक शिक्षा के शिक्षकों को भी राज्य के अन्य कर्मचारियों की भांति पंडित दीनदयाल उपाध्याय कैशलेस चिकित्सा योजना का लाभ मिले। साथ ही सामूहिक बीमा योजना पुनः आरंभ की जाए। जिलाध्यक्ष नवीन कुमार सिंह ने कहा कि अधिकतर परिषदीय विद्यालय ग्रामीण व दूरदराज क्षेत्रों में स्थित हैं। यहां प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों में समय से पहुंच पाना एक बड़ी चुनौती है। विद्यालय में तीन दिन विलंब से उपस्थित होने की दशा में उनका एक आकस्मिक अवकाश समायोजित करने की व्यवस्था दी जाए। बेसिक शिक्षा विभाग के सभी शिक्षकों व कर्मचारियों को न्यूनतम तीन दिन पदोन्नति का लाभ दिया जाए।जिला महामंत्री उमेश चंद्र ने कहा कि महिला शिक्षकों की सुरक्षा को देखते हुए परिषदीय विद्यालयों में टाइम एंड मोशन के तहत बढ़ाई गई शिक्षण अवधि को पूर्ववत किया जाए। समस्त विद्यालयीय कार्य एवं संकुल बैठकें विद्यालय अवधि के भीतर ही एक निश्चित कार्य दिवस में संपन्न कराई जाएं। साथ ही सभी प्रभारी प्रधानाध्यापकों को प्रधानाध्यापक पद के समस्त वित्तीय लाभ दिए जाएं। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त रखा जाए।