शहर की घनी आबादी न के बीच कटघर मोहल्ले में 1912 से चल रहे एडेड विद्यालय डॉ. घोष न मॉडर्न कॉलेज के हाल निराले हैं। यहां के प्राइमरी सेक्शन में तैनात शिक्षिका रिजवाना बेगम छह साल द से विद्यालय नहीं आई हैं। उल्टा विद्यालय का रजिस्टर हाजिरी न लगवाने के लिए उनके घर भेजा जाता है, जिससे उनका वेतन निकलता रहे।ऐसे ही विद्यालय कमेटी के पूर्व चेयरमैन की बेटी अंग्रेजी शिक्षिका जेनिफर लारेंस भी नहीं आती हैं। महीने में एक बार वह हाजिरी लगाने आती हैं। खेल शिक्षक अमित इसुबियस सुबह हाजिरी लगाने आते हैं। कई एकड़ में फैले ■ स्कूल के मैदान में वह किसी बच्चे को नहीं खेलाते और हाजिरी दर्ज करके चले हैं। कॉलेज के मैदान पर गाय, बकरी और सुअरों का ■ जमावड़ा रहता है। गेट के पास तो सुअरों के लोटने के लिए गड्ढा बना है, उसमें पानी भरा रहता है।शनिवार को अमर उजाला की टीम पहुंची तो विद्यालय में करीब 30 बच्चे थे। 14 कमरों के विद्यालय में सिर्फ एक कमरे में बच्चे थे, बाकी खाली। पहली मंजिल वाले सात कमरों में शायद महीनों से कोई नहीं गया। सभी कमरों में आधी बेंच सीधी तो आधी उल्टी रखी गई हैं। शिक्षक कक्ष में भी आधी बेंच उल्टी रखी गई हैं।पुराने इस भवन में झाडू तो कभी-कभी लग जाती है, लेकिन पुताई तो लंबे अर्से से नहीं हुई है। इस विद्यालय में 15 शिक्षक हैं। उसमें से विद्यालय में प्रतिभा विश्वकर्मा, अखिलेश कुमार शुक्ला, अरविंद यादव, नवीन पांडेय, मोहम्मद हसन, मातादीन मिले। सुबह संध्या, प्रीति स्कूल पहुंचीं और हाजिरी लगाकर चली गई थीं। दोपहर को प्राइमरी के शिक्षक मोहम्मद आलम हाजिरी लगाने आए थे। प्राइमरी की शिक्षिका अमिता शुक्ला तो कुछ पढ़ाती हैं, लेकिन वह अनुपस्थित थीं। काष्ठ कला और पुस्तक कला की पढ़ाई में ख्याती अंग्रेजी हुकूमत में शुरू हुआ ईसाई अल्पसंख्यक वर्ग का यह विद्यालय कभी काष्ठ कला और पुस्तक कला की पढ़ाई के प्रसिद्ध था। अब इन दोनों विषयों की पढ़ाई यहां पर नहीं होती है। यहां पर उस दौर की केवल बिल्डिंग बची है।