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स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की मुहिम अब जिलों से शुरू होगी। प्रत्येक जिले में मौजूदा जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) गया है। नको इसका जिम्मा सौंपा जो न सिर्फ जिले के प्रत्येक स्कूल के प्रदर्शन पर नजर रखेगा, बल्कि प्रदर्शन मानक से खराब होने पर वह उन स्कूलों के संबंधित विषय के शिक्षकों को नए सिरे से प्रशिक्षण भी देगा। इसके लिए प्रत्येक डायट का उन्नयन होगा और उसे उत्कृष्ट केंद्र के रूप में नामित किया जाएगा। इस दौरान अगले पांच वर्षों में प्रत्येक डायट पर 15-15 करोड़ रुपये खर्च होंगे।नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर तेजी से अमल में जुटे शिक्षा मंत्रालय ने नीति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए देशभर के डायट को उत्कृष्ट केंद्र के रूप में गढ़ने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इसके तहत अगले पांच वर्षों में नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे। वहीं देशभर के डायट को वर्ष 2028 तक संवारने का लक्ष्य भी रखा है। डायट इस दौरान जिले में मौजूदा सरकारी और निजी दोनों स्कूलों को बेहतर बनाने को लेकर काम करेगा। वैसे भी डायट के पास मौजूदा समय में जिम्मा शिक्षकों के प्रशिक्षण का ही है, लेकिन, अब स्कूलों के प्रदर्शन के आधार पर भी शिक्षकों को प्रशिक्षण देने का अभियान चलाएगा। डायट इसके साथ ही अब जिले में एनईपी के अमल को भी देखेगा, जिसमें वह स्कूलों के लिए आ रहीनई पुस्तकों को पढ़ाने के तरीके आदि को लेकर भी शिक्षकों को प्रशिक्षण देगा। वैसे भी स्कूली शिक्षा के नए ढांचे के तहत अब तक बालवाटिका से लेकर पहली, दूसरी, तीसरी और छठी कक्षा की नई पाठ्य पुस्तकें आ चुकी हैं। अगले सत्र तक चौथी, पांचवीं, सातवीं व आठवीं की भी नई पाठ्य पुस्तकें आ जाएंगी। यह पाठ्य पुस्तकें एनईपी की सिफारिशों के तहत तैयार की गई हैं। वैसे तो देश के 672 जिलों में डायट को खोलने की मंजूरी दी गई है, लेकिन अभी इनमें से 613 जिलों में ही यह प संस्थान काम कर रहे हैं।

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