परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले नौनिहालों की इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए शासन ने सप्ताह में एक दिन मध्यान्ह भोजन के साथ आंवला उत्पाद (केंडी), मूंगफली की चिक्की, गुड़-तिल, गजक, रामदान, बाजरे का लड्डू (इसमें से कोई एक उत्पाद) देने का निर्देश दिया है। एक नवंबर से शुरू की गई नई व्यवस्था की शुरुआत जिले के परिषदीय स्कूलों में जोर-शोर से की गई, लेकिन एक-दो सप्ताह बाद ही हेडमास्टरों ने इसका वितरण बंद कर दिया। गुरुवार को इसकी हकीकत जानने के लिए आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने कुछ प्रमुख परिषदीय स्कूलों की पड़ताल की। खुलासा हुआ कि आंवला उत्पाद तो जिले के किसी स्कूल में नहीं दिया जा रहा। कुछ स्कूलों में रामदाना, मूंगफली को चिक्की वितरित की जा रही है। फिलहाल वर्तमान में जिले के 50 फीसदी परिषदीय स्कूलों में शासन के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा।
शिक्षक ही नहीं जानते योजना क
े बारे में – आसपुर देवसरा के परिषदीय स्कूलों में शासन की ओर से मध्यान्ह भोजन के साथ समाह में एक दिन बच्चों को आंवला उत्पाद देने की योजना शिक्षकों को ही नहीं पता है। कमोवेश यहीं हाल बाबा बेलखरनाथ धाम के परिषदीय स्कूलों में भी है। आसपुर देवसरा के प्राथमिक विद्यालय इब्राहिमपुर, अतरौरा मीरपुर, तुरकोली में बच्चों मुरुवार को मेन्यू के मुताबिक भोजन तो दिया गया था लेकिन आंवला उत्पाद जैसा कोई खाद्य पदार्थ नहीं दिया गया। यही हाल प्रावमिक विद्यालय गौदलपट्टी में भी रहा, बच्चों को एमडीएम में दाल चावल परोस दिया गया। हेडमास्टर अवकाश पर थे।