प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों को नए साल का तोहफा मिला है। शिक्षामित्रों को उनके घर या आसपास तैनाती का रास्ता साफ हो गया है। शासन ने शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय (पहली तैनाती स्थल) वापसी का शासनादेश जारी कर दिया है। इसके अलावा सभी शिक्षामित्रों को अपने वर्तमान कार्यरत विद्यालय में तैनात रहने का भी विकल्प मिलेगा। प्रदेश के 1.42 लाख शिक्षामित्र लंबे समय से मूल विद्यालय वापसी व मानदेय वृद्धि की मांग कर रहे थे। पिछले दिनों हुए आंदोलन के बाद शासन ने इसपर सकारात्मक कार्यवाही शुरू की। इसका संज्ञान लेते हुए शासन ने शुक्रवार को शिक्षामित्रों के स्थानांतरण / समायोजन का आदेश जारी कर दिया बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. एमकेएस सुंदरम के अनुसार पुरुष शिक्षामित्रों व अविवाहित शिक्षामित्रों को अपने वर्तमान विद्यालय में रहने, मूल विद्यालय में जाने, मूल विद्यालय में पद खाली न होने पर उस ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, वार्ड में चल रहे विद्यालय में खाली शिक्षामित्र पद पर विकल्प लेकर तैनाती दी जाएगी। 30 से 40 हजार शिक्षामित्रों को मिलेगा लाभ: प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में वर्तमान में 1.42 लाख शिक्षामित्र तैनात हैं। जुलाई 2018 में इनको शासन की ओर से मूल विद्यालय वापसी का अवसर दिया गया था। उस समय 20 से 25 हजार शिक्षामित्र छूट गए थे। तब से अब तक कई महिला शिक्षामित्रों की शादी हो चुकी है। ऐसे में इस बार लगभग 30 से 40 हजार शिक्षामित्रों को इसका लाभ मिलेगा। वर्तमान में इन्हें 10 हजार रुपये मानदेय मिलता है। ज्यादातर की पहली तैनाती उनके जिले में थी: प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में सितंबर 2001 से 2010 के बीच में लगभग 1.72 लाख शिक्षामित्रों की तैनाती की गई थी। इसमें अधिकतर शिक्षामित्रों की पहले तैनाती उनके जिले में ही की गई थी। ऐसे में मूल विद्यालय वापसी का विकल्प मिलने का मतलब शिक्षामित्र अपने जिले में ही अब नौकरी कर सकेंगे।