पहली बार छठी से 12वीं कक्षा तक के छात्र सहकारिता का पाठ भी पढ़ेंगे। पहले चरण में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की छठी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में सहकारिता विषय पर एक अध्याय अमूल’ नामक पाठ जोड़ दिया है। जबकि सेकंडरी स्टेज यानी 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए भारत में सहकारिता ‘(कोऑपरेटिव इन इंडिया) नाम से विशेष मॉडयूल तैयार हो गया है। केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह पांच जुलाई को गुजरात के आनंद में पहली त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के भूमि पूजन मौके पर इस मॉड्यूल को जारी करते हुए कई घोषणाएं भी करेंगे। खास बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है।वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, भारत को तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रति व्यक्ति रोजगार के मौके उपलब्ध करवाने होंगे। इसमें सहकारिता क्षेत्र में सबसे अधिक संभावनाएं हैं। क्योंकि सहकारिता एक विचार नहीं, बल्कि आंदोलन है। देश का विकास सहकारिता के विकास पर निर्भर है और इसी आंदोलन की सफलता के लिए सरकार द्वारा गुजरात के आनंद में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी (टीएसयू) की स्थापना की जा रही है। मार्च-अप्रैल 2025 में टीएसयू बिल पास हुआ था। देश का पहला सहकारी विश्वविद्यालय भारत में श्वेत क्रांति और सहकारी दुग्ध आंदोलन के जनक, अमूल के संस्थापक त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल को समर्पित होगा।