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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कर्मचारी की सर्विस बुक में पहली बार दर्ज जन्मतिथि संशोधित नहीं की जा सकती। भले जन्मतिथि को संशोधित कर सही किया गया हो, लेकिन नौकरी के समय सर्विस बुक में रिकॉर्ड जन्मतिथि वही रहेगी।

जस्टिस मंजीव शुक्ला ने झांसी &

#x91C;िले के प्राथमिक विद्यालय में नौकरी कर रहीं शिक्षिका कविता कुरील की याचिका को खारिज करते हुए यह निर्णय दिया है। याचिका में बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) झांसी उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने सर्विस बुक में रिकॉर्ड जन्मतिथि को संशोधित करने से मना कर दिया था। अधिवक्ता केएस कुशवाहा ने कहा कि याची के हाईस्कूल सर्टिफिकेट में जन्मतिथि तीन नवंबर 1967 है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने गलती मानते हुए सर्टिफिकेट में इसे ठीक भी कर दिया है। ऐसी स्थिति में हाईस्कूल सर्टिफिकेट के आधार पर कविता की सर्विस बुक में जन्मतिथि तीन नवंबर 1960 की जगह 1967 दर्ज की जाए। कोर्ट ने फैसले में बेसिक शिक्षा परिषद के तर्क को सही मानते हुए कहा कि यूपी रिक्रूटमेंट ऑफ सर्विस (डिटरमिनेशन डेट ऑफ बर्थ) रूल्स 1974 के नियम दो के अनुसार सर्विस बुक में हाईस्कूल रिकॉर्ड के आधार पर दर्ज की गई जन्मतिथि में संशोधन नहीं किया जा सकता। नियमावली स्पष्ट है और इसमें कोई दुविधा नहीं है।

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