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प्रयागराज- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश का पालन न कर महीनों तक फाइल दबाए रखने की प्रवृत्ति को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि ऐसे अफसर की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार कर इसका हल निकालें। कोर्ट ने अवमानना के मामले में तलब उच्च शिक्षा निदेशक ब्रह्मदेव की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया यह अधिकारी अपने पद के योग्य प्रतीत नहीं होते। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अजय कुमार मुद्गल की अवमानना याचिका पर उसके अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी और उच्च शिक्षा निदेशक को सुनकर की।
याची की पत्नी मेरठ कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत थीं। उनकी सेवाकाल में मृत्यु हो गई।
याची ने पारिवारिक पेंशन व ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए आवेदन किया लेकिन उसे भुगतान यह करते हुए नहीं दिया गया कि कर्मचारी ने अपने जीवन काल में ग्रेच्युटी के विकल्प का चयन नहीं किया था। इस पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल के गई। पूर्व के कई न्यायिक निर्णय के आधार पर हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशालय को याची के प्रकरण पर दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया। इसके बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया तो अवमानना याचिका दाखिल की गई।

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