शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए शासन की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया है। बेसिक शिक्षा निदेशक के अध्यक्षता वाली इस कमेटी में शिक्षक संघ के एक भी प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया है। कमेटी का गठन तो शासन की ओर से 14 नवंबर को किया गया, लेकिन शिक्षकों को इसकी जानकारी 15 दिन बाद हो सकी है। इसे लेकर शिक्षक संघ में काफी नाराजगी है।
उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ की ओर से शिक्षकों की समस्याओं को लेकर बेसिक शिक्षा निदेशालय पर बीते दिनों धरना-प्रदर्शन किया गया था। इसके बाद महासंघ की 30 अक्तूबर और नौ नवंबर को बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव डॉ. एमकेएस सुंदरम की अध्यक्षता में विभागीय अधिकारियों के साथ वार्ता हुई। वार्ता में तय हुआ कि शिक्षकों की तमाम समस्याओं परस्पर तबादले, पदोन्नति आदि मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव की ओर से 14 को एक कमेटी गठित की गई। बेसिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव, बेसिक शिक्षा के संयुक्त शिक्षा निदेशक, उप निदेशक व वित्त नियंत्रक को शामिल किया गया है, कमेटी में शिक्षकों को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। कमेटी को 15 दिन के अंदर परीक्षण कर अपनी आख्या/ रिपोर्ट देनी है। शासन की ओर से 14 नवंबर को गठित कमेटी की जानकारी शिक्षक संघ को 30 नवंबर को हुई है। उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा का कहना है कमेटी में सिर्फ शासन के अधिकारी ही शामिल किए गए हैं। शिक्षक संघ को शामिल नहीं किया गया है। जल्द ही इस मामले में प्रमुख सचिव से मुलाकात कर बात रखी जाएगी।