गोरखपुर – उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि डिजिटलाइजेशन के दौर में एबीसीडी से लेकर हायर एजुकेशन तक की पढ़ाई बच्चे टैबलेट या स्मार्टफोन जैसे डिवाइस से कर ले रहे हैं, लेकिन इससे सिर्फ शिक्षा मिल सकती है। बच्चों में संस्कार और चरित्र का निर्माण सिर्फ स्कूलों में ही हो सकता है। इसके लिए बच्चों का स्कूल जाना आवश्यक है।विधानसभा अध्यक्ष रविवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर ते थे। उन्होंने कहा कि पहले शिक्षा के दे ही ध्येय होते थे, लड़के के लिए नौकरी और लड़की के लिए अच्छी शादी। लंबे समय तक रोटी, कपड़ा और मकान ही जीवन के तीन आवश्यकताएं बताई गई। जीवन की पहचान संस्कार, व्यक्तित्व, सेवा, मेधा और समर्पण से होती है। उन्होंने कहा कि सेवा और संस्कार युक्त शिक्षा ही भारत की पहचान रही है और यही दुनिया को दिशा देती रही है। विधानसभा अध्यक्ष ने विद्यार्थियों को दिमाग को नियंत्रित करने के टिप्स देते हुए कहा कि हमारी सुनने की क्षमता समाप्त होती जा रही है। हम जो सुनते हैं, वही सोचते हैं। अगर हम अच्छी बात सुनेंगे तो हमारे मन में अच्छे विचार आएंगे। जैसा सुनेंगे बैसा सोचेंगे, जैसा सोचेंगे वैसा काम करेंगे, जैसा काम करेंगे वैसा हमारा स्वभाव बनेगा और जैसा हमारा स्वभाव होगा वैसा ही चरित्र बनेगा। इसलिए दिमाग को नियोंत्रित करना जरूरी है।