पांच साल की कवायद के बाद उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 के लिए नियमावली तो जारी हो गई है, लेकिन शिक्षकों की भर्ती के विवादित नियम में संशोधन नहीं हो सका है। ऐसे में नए आयोग की ओर से भविष्य में होने वाली भर्ती में विवाद की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। बुधवार को जारी नियमावली में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) में भर्ती का आधार इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 ही माना गया है जो अपडेट नहीं है। 1921 के एक्ट में अहंता को लेकर तमाम विसंगतियां हैं। इनमें संशोधन लिए पांच साल पहले यूपी बोर्ड की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था जो आज तक मंजूर नहीं हो सका है। सबसे विवादित प्रावधान कला शिक्षकों की अर्हता को लेकर है। 1921 के एक्ट में टीजीटी कला विषय की भर्ती के लिए लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स की टीचर्स सीनियर सर्टिफिकेट परीक्षा मान्य थी जो अब तक नियमावली में चली आ रही है। इस भर्ती के लिए बीएफए और एमएफए जैसी उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले अभ्यर्थियों को बाहर रखा गया है। इसे लेकर पिछली भर्तियों में काफी विवाद हुआ और बेरोजगारों ने हाईकोर्ट में दर्जनों याचिकाएं भी कीं, लेकिन नियमावली में संशोधन नहीं हो सका। इसके अलावा हाईस्कूल स्तर पर जीव विज्ञान विषय अलग से नहीं पढ़ाया जाता, लेकिन जीव विज्ञान शिक्षकों की भर्ती से होती है।