जिले के सरकारी विद्यालयों के कायाकल्प के लिए लाखों रुपये खर्च किए गए, लेकिन तमाम विद्यालय वैसे ही पड़े हैं। जिनका अभी तक कायाकल्प नहीं हो पाया है। कई विद्यालयों में फर्नीचर नहीं पहुंच सका है तो कई में विद्युतीकरण नहीं हो सका है। जिन विद्यालयों में वायरिंग आदि कराई गई है, वहां पटिया किस्म के उपकरण लगाए गए हैं। पुलिस लाइन में पुराने जर्जर भवन में बच्चे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं विभाग 92 प्रतिशत विद्यालयों के कायाकल्प होने का दावा कर रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत जिले में 2803 परिषदीय विद्यालय है। इन विद्यालयों में पांच लाख से अधिक बच्चे अध्ययन कर रहे है। इनमें तमाम ऐसे विद्यालय थे जिनका उप आयुक्त निर्माण की देख-रेख में कायाकल्प होना था। इसमें विद्यालयों को रंगाई-पुताई, 442 स्कूलों को चहारदीवारी निर्माण व मरम्मत, 77 बालक व 66 बालिका शौचालय निर्माण, 57 विद्यालयों का विद्युतीकरण, फर्नीचर आदि के लिए लगभग साढ़े छह करोड बजट से गांगों के विद्यालयों का पंचायत स्तर, शहरी क्षेत्र के नगर पालिका व नगर निकाय स्तर से
कार्य होना था।वहीं कुछ विद्यालयों का कायाकल्प बंशिक शिक्षा विभाग के माध्यम से कराया जाना था। लेकिन जिले के तमाम विद्यालयों का अभी तक कायाकल्प नहीं हो पाया है। जिसे देखकर लगता है कि भवन काफी पुराने व जर्जर हो गए हैं।