Sun. Dec 22nd, 2024

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना काल में डिप्रेशन में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक के त्यागपत्र को स्वीकार करने के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा सेवा नियमावली के तहत इस्तीफा देने की तीन माह की नोटिस दी जानी चाहिए। यदि नोटिस अवधि कम करना हो तो सरकार से इसकी अनुमति लेनी चाहिए। कोर्ट ने याची अध्यापक को सेवा में बहाल करते हुए उसे सहायक अध्यापक पद का कार्यभार संभालने देने और नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने प्राथमिक विद्यालय फुलटारा चंद्रपुरिया, शंकरगढ़ के सहायक अध्यापक चंद्रशेखर यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची का इस्तीफा एक माह के भीतर स्वीकार कर लिया गया। डाक्टरी जांच में याची डिप्रेशन में पाया गया। ऐसे में दिया गया इस्तीफा विवेकपूर्ण नहीं माना जा सकता। इसलिए इस्तीफा स्वीकार करना कानून की नजर में सही नहीं है। कोर्ट ने बीएसए के 20 अक्टूबर 21 को पारित आदेश को रद कर दिया। याचिका पर अधिवक्ता देवराज राजवेदी और श्रीमती सुभाष राठी ने बहस की। याची सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय फुलटारा, विकासखंड शंकरगढ़ जिला प्रयागराज में 27 जून 2009 को नियुक्त हुआ था। कोविड महामारी में याची के भाई की अचानक मृत्यु और पत्नी व पिता के भी इसकी चपेट में आने पर उन्हें घोर मानसिक अवसाद में ला दिया। जिसके कारण 20 सितंबर 2021 को त्यागपत्र दे दिया। जिसे बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज के द्वारा 20 अक्टूबर 2021 को स्वीकार करते हुए चंद्रशेखर यादव की सेवाएं समाप्त कर दी गई। कोर्ट ने कहा, याची कोरोना काल में पारिवारिक अस्वस्थता के कारण गहरे मानसिक अवसाद में था। इसलिए उसके द्वारा दिया गया त्यागपत्र विवेकपूर्ण नहीं कहा जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *