समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक विवाद के बाद अब एसटीएफ की जांच ही इस परीक्षा का भविष्य तय करेगी। वहीं, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की आंतरिक जांच समिति भी अभ्यर्थियों की ओर से उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के आधार पर आगे बढ़ रही है। इन सबके बीच मंगलवार को सुबह 11 बजे के आसपास बड़ी संख्या में अभ्यर्थी यूपीपीएससी पहुंचे और आयोग का घेराव किया। शाम तक उनका धरना-प्रदर्शन भी चलता रहा। अभ्यर्थियों ने ज्ञापन देकर प्रारंभिक परीक्षा तत्काल निरस्त किए जाने की मांग की। अभ्यर्थियों ने पेपर 1 लीक की जांच शीघ्र पूरी करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग भी की। फिलहाल, मामला एसटीएफ के पास जाने के बाद परीक्षा पर कोई भी निर्णय लेना आयोग के लिए आसान नहीं रह गया है। वायरल हुआ पेपर लाखों मोबाइल फोन तक पहुंचा था। ऐसे में एसटीएफ के लिए भी यह पता लगा पाना इतना आसान नहीं रह गया है कि पेपर वायरल किए जाने की शुरुआत कब और कहां से हुई थी। यह पता लगाए बिना जांच भी पूरी नहीं होगी। ऐसे में यह मामला लंबा खिंच सकता है।इससे पूर्व एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती-2018 में भी सामाजिक विज्ञान और हिंदी विषय का पेपर लीक होने के आरोप लगे थे और एसटीएफ ने इसकी जांच की थी। इस मामले में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को जेल तक जाना पड़ा था। जब एसटीएफ ने जब क्लीन चिट दी तो उसके बाद आयोग ने सामाजिक विज्ञान और हिंदी विषय का परिणाम जारी किया था। जांच पूरी होने में तकरीबन एक साल का समय लग गया था। आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 2023 के पेपर लीक विवाद में तो दो स्तर पर जांच चल रही है। इस बार आयोग ने भी अपने स्तर से तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है और इसकी निगरानी एवं रोज अपडेट लेने के लिए अलग से मॉनीटरिंग कमेटी भी बना दी गई है। ऐसे में परीक्षा को लेकर जो भी निर्णय होगा, वह आंतरिक जांच समिति और एसटीएफ की जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगा।