महाकुम्भ 2025 के पहले मेला प्राधिकरण से जुड़े अधिकारी हों या फिर सैलानियों के संपर्क में आने वाले प्रयागवाल सभा के तीर्थ पुरोहित, नाविक सभी आचरण का पाठ पढ़ेंगे। इन्हें विशेषज्ञ इनके काम में तो दक्ष होने के तरीके बताएंगे साथ ही आचरण में बदलाव और समय प्रबंधन की भी जानकारी देंगे। इस बार प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने इसके लिए अलग से प्लान बनाया है। महाकुम्भ के दौरान संगम की रेती पर 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान है। मेले में प्रशासन और पुलिस के अफसर व कर्मचारी भी होंगे तथा प्रयागवाल सभा से जुड़े तीर्थ पुरोहित, नाविक, टूरिस्ट-गाइड, वेंडर्स सभी किसी न किसी रूप में आने वाले श्रद्धालुओं के संपर्क में आएंगे। ऐसी स्थितियों में व्यवहार कैसे करें, इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा।प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने इसके लिए मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गोविंद वल्लभ पंत संस्थान, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस जैसे दर्जनभर संस्थानों से संपर्क किया है। यहां के विशेषज्ञ एक प्लान बनाएंगे। जिस पर अलग- अलग वर्ग के 50-50 लोगों की टीम बनाई जाएगी। प्रत्येक व्यक्ति को दो से पांच दिन का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। इस कारण लिया निर्णय ऐसा पाया गया है कि किसी भी आयोजन की शुरुआत में अधिकारी और कर्मचारी उत्साहित रहते हैं, लेकिन समापन तक उनका उत्साह खत्म होने लगाता है हैं और उनका आचरण बदलने लगाता है। यह प्रशिक्षण इसी में मदद करेगा।