Fri. Mar 14th, 2025

हाईकोर्ट ने कहा, पत्नी और बच्चे को भरण-पोषण के भुगतान से बचने के लिए पति द्वारा आय छिपाने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही पत्नी द्वारा अत्यधिक राशि का दावा करने का प्रयास किया जाता है। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि उसके सामने पेश किए गए सबूतों के आधार पर अदालत को पत्नी और बच्चे को देय गुजारा भत्ता निर्धारित करने के लिए पति की आय का आकलन करना होगा। इस तरह के अभ्यास में कुछ मात्रा में पारिवारिक अदालत के आदेश को दी गई थी चुनौती अनुमान आवश्यक रूप से शामिल होता है। न्यायमूर्ति चावला एक पति की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे भरण-पोषण के लिए आवेदन दाखिल करने की तारीख से पत्नी को 10,000 रुपये प्रति माह और नाबालिग बेटे को 12,000 रुपये प्रति माह अंतरिम गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। पारिवारिक अदालत ने पति को जनवरी 2022 से नियमित रूप से उक्त दर पर भविष्य में गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया। पति ने तर्क रखा कि उसने आय का हलफनामा दायर किया था जिसमें बताया गया था कि वह प्रति माह केवल 24,000 रुपये कमा रहा था, पर बाद में उसने एक और हलफनामा दायर किया जिसमें कहा कि उसकी आय केवल 14,000 रुपये प्रति माह है।

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