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माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के 20 कमरों में धूल फांक रहे 80 वर्ष पुराने अभिलेखों के डिजिटलीकरण का काम शुरू हो गया है। कुछ माह में इन अभिलेखों का डिजिटलीकरण कर दिया जाएगा।उसके बाद से इसे निशुल्क ऑनलाइन देखा सकेगा। इसके साथ अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों की दूसरी प्रति बनवाई जा सकेगी। साथ ही कागजों के रखरखाव का झंझट खत्म हो जाएगा।परीक्षा कराने वाली देश की सबसे पुरानी संस्था यूपी बोर्ड की स्थापना 1921 में हुई थी। यूपी बोर्ड ने पहली परीक्षा 1923 में कराई थी। तब से अब तक 101 वर्षों के अंक पत्र, प्रमाण पत्र व अन्य अभिलेख मुख्यालय में मौजूद हैं।21वीं सदी में कंप्यूटर का प्रचलन बढ़ा तो 2003 के बाद के दस्तावेज ऑनलाइन किए गए।2003 से पहले के दस्तावेज फाइलों में बंडल बनाकर रखे गए हैं। 80 वर्षों की फाइलों को संभालकर रखना बोर्ड के लिए चुनौती है। इन फाइलों को मुख्यालय के 20 कमरों में रखा गया है। इनको बचाने के लिए समय- समय पर दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है। इसके बावजूद कई वर्ष के अभिलेख सीलन से या चूहों के कुतरने से खराब हो गए हैं।

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