इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन करने वाला अभ्यर्थी परीक्षा में असफल होने पर दूसरा अवसर पाने का हक़दार नहीं होगा। अभ्यर्थी को शारीरिक दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए पहली बार में असफल होने पर दूसरा मौका नहीं दिया जा सकता। सरकारी कर्मचारी के अचानक निधन के बाद परिवार की आर्थिक मदद के लिए अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है। इसका उद्देश्य किसी भी तरह का दर्जा प्रदान करना या नियुक्ति क का वैकल्पिक तरीका नहीं है। न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील पर यह आदेश दिया।मुजफ्फरनगर की गीता रानी के पति मान सिंह सिविल पुलिस में हेड कांस्टेबल थे। सेवा के दौरान अचानक उनकी मृत्यु हो गई। गीता ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था।शारीरिक दक्षता परीक्षा में असफल हो । गई। इसलिए उसका दावा खारिज कर दिया गया। इस पर गीता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर एक और अवसर देने की मांग की। एकल पीठ ने याचिकाकर्ता को शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल होने का एक अंतिम अवसर प्रदान करने का निर्देश दिया। यह भी कहा कि यदि वह परीक्षा में असफल हो जाती है तो उसे उसकी योग्यता के अनुसार पद प्रदान किया जाना चाहिए। इस आदेश को राज्य सरकार ने चुनौती दी। कहा कि याचिकाकर्ता आश्रितों की भर्ती नियम, 1974 के नियमों के तहत शारीरिक दक्षता परीक्षा में फेल हो चुकी है।