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विजिलेंस के प्रयागराज सेक्टर ने कूटरचित दस्तावेज बनाकर मिर्जापुर में मृतक आश्रित बनकर शिक्षक की नौकरी पाने की साजिश रचने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। शासन द्वारा विजिलेंस ने इस मामले की खुली जांच की थी, जिसमें आरोप सही पाए गए हैं। विजिलेंस ने इस मामले में दो लोगों को नामजद कर विवेचना शुरू कर दी है। शासन की अनुमति पर विजिलेंस ने फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने वाले कृष्णकांत और उसके पिता नाथेराम को मुकदमे में नामजद कर विवेचना शुरू कर दी है। विजिलेंस के मुकदमे के मुताबिक सुमित्रा देवी प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका थीं। उनकी मृत्यु दिसंबर 1990 में हो गई थी।मिर्जापुर निवासी नाथेराम ने नोटरी शपथपत्र में खुद को सुमित्रा देवी का पति बताकर वारिसान में स्वयं एवं अपने बेटे कृष्णकांत को वयस्क एवं बेटियों सुनीता एवं अनीता को नाबालिग बताया। इसी शपथपत्र के आधार पर कृष्णकांत को विधिक वारिस का प्रमाणपत्र जारी करने के आवेदन पर तत्कालीन लेखपाल शेषमणि से आख्या प्राप्त की गई, जिसके बाद तहसीलदार सदर ने वारिस प्रमाणपत्र जारी किया था। इसके आधार पर कृष्णकांत का बेसिक शिक्षा विभाग में समायोजन हो गया। विजिलेंस की जांच में सामने आया कि नाथेराम मिर्जापुर के ग्राम लोकापुर निवासी है, जिसके परिवार रजिस्टर के 13 सदस्यों की सूची में सुमित्रा देवी का नाम नहीं मिला। नाथेराम ने तत्कालीन बीएसए दयाशंकर सिंह, लेखपाल शेषमणि की मिलीभगत से वारिस होने का प्रमाणपत्र हासिल कर लिया और मृतक आश्रित के रूप में कृष्णकांत को नौकरी दिलवाई। बता दें कि तत्कालीन बीएसए और लेखपाल की मृत्यु हो चुकी है।

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