परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की शिक्षा की नींव पड़ती है । इन विद्यालयों को मजबूत कर सरकार निजी स्कूलों को टक्कर देने में जुटी है। छात्रों की संख्या बढ़े, इसे लेकर निश्शुल्क शिक्षा के साथ ही ड्रेस, स्वेटर, जूता-मोजा, बैग व किताबें व दोपहर का भोजन भी बच्चों को दिया जा रहा है। भोजन व किताबें तो विद्यालयों में उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन ड्रेस, जूता-मोजा व बैग की 1,200 रुपये की धनराशि छात्रों के अभिभावकों के खातों में हर वर्ष दी जाती हैं। नया शिक्षण सत्र अप्रैल से शुरू हो गया है, लेकिन तीन माह बाद भी पूर्वाचल के दस जिलों के 21,60,869 बच्चों में से किसी के भी अभिभावक के खातों में धनराशि नहीं आ सकी है। इसमें 2,07,872 बच्चे ऐसे हैं, जो पिछले सत्र में भी बगैर ड्रेस के स्कूल गए, लेकिन इन पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस बार भी धनराशि न आई तो जुलाई से बच्चे पुराने कपड़ों व बगैर जूते-मोजे के ही स्कूल जाएंगे।