परिषदीय विद्यालयों में सोमवार से शिक्षकों, कर्मचारियों की डिजिटल अटेंडेंस (टैबलेट पर चेहरा दिखाकर उपस्थिति) लगाने की व्यवस्था का व्यापक स्तर पर विरोध शुरू हो गया है। रविवार को विभिन्न शिक्षक संगठनों ने बैठक कर इस पर नाराजगी जताई। साथ ही सोमवार से काली पट्टी बांधकर काम करने और 15 जुलाई को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक में डिजिटल अटेंडेंस को काले कानून की संज्ञा दी गई। प्रदेश व जिला पदाधिकारियों की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा कि सभी ने एक स्वर से इस व्यवस्था का विरोध किया है। हम जिला स्तर पर प्रदर्शन कर सीएम को ज्ञापन भेजेंगे। साथ ही मांग करेंगे कि पहले शिक्षकों की ईएल, सीएल, हाफ डे जैसी मांग पूरी की जाए। बरसात की दिक्कत को देखते हुए फिलहाल हुई। प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में शिक्षकों, शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों के मांगों का बिना समाधान किए, शिक्षक संगठनों से समन्वय के बिना एकतरफा काला कानून को थोपने पर नाराजगी जताई। डिजिटल अटेंडेंस स्थगित की जाए। वहीं, उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ की प्रांतीय कोर कमेटी की बैठक लखनऊ संघ कार्यालय पर उन्होंने कहा कि शासन की आंख नही खुलती हैं तो कार्य बहिष्कार का ऐलान किया जायेगा। विभाग पहले लंबित मुद्दों पर निर्णय ले, उसके बाद डिजिटल अटेंडेंस लागू करे। उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ की पीडब्ल्यूडी सभागार में हुई बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने की मांग की। बेसिक शिक्षा मंत्री को भेजे ज्ञापन में संगठन ने शिक्षकों को ईएल, सीएल, हाफ डे, प्रतिकर अवकाश देने की मांग की।साथ ही 15, 20 मिनट देर होने पर किसी तरह की कार्रवाई न करने की मांग की है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता में लखनऊ स्थित कार्यालय में हुई जिला व प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में 11, 12 जुलाई को ब्लॉक स्तर पर शिक्षकों से बैठक कर उनका मत जानने और उसके बाद आगे के आंदोलन की घोषणा करने का निर्णय लिया गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने इस निर्णय के पूर्ण बहिष्कार की घोषणा की है। इस मामले में सोमवार को डीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन देने का निर्णय लिया है।