विद्यालय में प्रवेश द्वार पर निजी बसों और टेंपों वालों का कब्जा है। उनसे बचते-बचाते हुए स्कूल में घुसे तो जर्जर भवनों से सामना होता है। लगता है वर्षों से भवनों की पुताई भी नहीं हुई है। प्रधानाचार्य के कमरे के आसपास वाले भवन का प्लास्टर उखड़ा हुआ है और दीवारों में सीलन है। विद्यालय के रामबाग साइड वाली दीवार पर कई दुकानें हैं। विद्यालय के एक परिसर का प्रयोग व्यावसायिक हो रहा है। वहां पर मेला लगा है। इन सबसे से प्रबंधन को किराया मिलता है, लेकिन विद्यालय में रंगाई-पुताई भी नहीं कराई जा रही है। प्राइमरी सेक्शन में शिक्षक नहीं – यहां पर प्राइमरी सेक्शन भी चलता है। कक्षा एक से पांच तक 161 बच्चे हैं, लेकिन शिक्षक एक भी नहीं है। इंटर कॉलेज में शिक्षकों की भरमार है, वह इन बच्चों को पढ़ाते हैं। वहीं, वर्षों से कोई नहीं आया टॉपर सूची में यहां पर बच्चों की संख्या कई वर्ष से कम है। सत्र 2023-24 में 10वीं में 19 और 12वीं में 49 बच्चे थे। इनके सापेक्ष शिक्षक ज्यादा थे। शिक्षक चाहते तो बच्चों को ट्यूशन की तरह पढ़ाते और इन्हीं में से किसी को टॉपर बना देते, लेकिन ऐसा नहीं किया। वेतन पूरा । लिए, लेकिन परिणाम नहीं दिखा।