Thu. Jan 2nd, 2025

स्कूली बस्ते अहम पहल की है। जिसमें अब का बोझ कम करने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने अब बच्चों को बिना बस्ते के भी साल में दस दिन स्कूल आने की पहल की है। मंत्रालय ने सोमवार को इसे लेकर एक दिशा- निर्देश भी जारी कर दिया है। इसमें छठवीं से आठवीं कक्षा के बच्चों को साल में दस दिन पढ़ाई के अतिरिक्त व्यक्तित्व और कौशल विकास से जुड़ी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। बच्चों को साल में ये दस दिन स्कूल अपनी सुविधा को देखते हुए पांच पांच दिन के दो चरणों में मुहैया कराएंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल के चार साल पूरे होने के मौके पर शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। इसका उद्देश्य बच्चों को पढ़ाई के बोझ से राहत देना है। उन्हें सेना और पुलिस कार्यालयों को दिखाने, स्थानीय उद्योगों का भ्रमण कराने, स्किल से जुड़ी गतिविधियों से जोड़ने, किसी ऐतिहासिक स्थल, वन्यजीव अभयारण्य आदि का भ्रमण कराने जैसे सुझाव भी दिए गए हैं। मंत्रालय ने समाज के साथ जुड़ाव को बढ़ाने के लिए उन्हें अपने आसपास के क्षेत्रों में सर्वे करने, लोगों की समस्याओं की पहचान कर उनकी जीवनशैली से जुड़ी खूबियों को सामने लाना शामिल है। इसके साथ ही बुजुर्गों और अपने अभिभावक का इंटरव्यू भी करने जैसी करीब 33 गतिविधियों से जोड़ने की सिफारिश की गई है। गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में भी बच्चों के लिए साल में बगैर बस्ते के दस दिन सृजित करने की सिफारिश की गई थी। मंत्रालय इससे पहले बच्चों के ऊपर से पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए उनके बस्ते का बोझ भी कम कर दिया था। इसे लेकर राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।

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