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शिक्षकों का अधिकांश समय बाबूगिरी में बीत रहा है। कक्षा में बच्चों को पढ़ाने की फुर्सत नहीं है। 12 तरह की विभागीय ऐप में ब्योरा अपलोड करने में दिन बीत रहा है। शिक्षकों के लिए ये ऐप सुविधा की बजाय बच्चों की पढ़ाई में अचड़न बन गए हैं।शिक्षकों का स्कूल के समय मोबाइल व टैबलेट ऑनलाइन ही रहता है। बच्चों के नामांकन, रिपोर्ट कार्ड, आधार लिंक, बच्चों व अभिभावकों का ब्योरा, बैंक डिटेल ऑन लाइन करना, दिव्यांग बच्चों की उपस्थिति से लेकर निपुण भारत समेत अन्य की फीडिंग ऑन लाइन करनी होती है। समीक्षा में सूचना समय से न भेजने पर शिक्षकों के वेतन रोकने समेत कई तरह की कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। बेसिक शिक्षा विभाग में मौजूदा समय में हर काम ऑनलाइन हो रहा है। हर काम के लिए एक अलग से मोबाइल ऐप या ऑनलाइन पोर्टल बना हुआ है। सभी शिक्षकों को यू डाइस में हर बच्चे की 52 बिन्दुओं पर सूचना भरनी होती है। इसके अलावा नामांकन, निपुण, स्कूल में कायाकल्प से लेकरबच्चों से जुड़ी हर जानकारी इन्हीं ऐप और पोर्टल के माध्यम से विभाग को भेजनी होती है। शिक्षकों के सामने पढ़ाने के साथ ही समय-समय पर स्कूल की गतिविधियों सहित रोज की जानकारी मुहैया कराना चुनौती से कम नहीं है।

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