प्रदेश के सरकारी प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित कर लिया है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई पूरी हुई। इस मामले में पहली याचिका, सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों ने दाखिल की है। जबकि, एक अन्य याचिका भी दाखिल हुई है।सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई कि स्कूलों का विलय करने का सरकार का आदेश, 6 से 14 साल के बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करने वाला है।उधर, राज्य सरकार की ओर से याचिकाओं के विरोध में प्रमुख दलील दी गई कि विलय की कार्यवाही, संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए बच्चों के हित में की जा रही है। सरकार ने ऐसे 18 प्राथमिक स्कूलों का हवाला दिया, जिनमें एक भी विद्यार्थी नहीं हैं। कहा कि ऐसे स्कूलों का पास के स्कूलों में विलय करके शिक्षकों और अन्य सुविधाओं का बेहतर उपयोग किया जाएगा। कहा कि सरकार ने पूरी तरह शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिहाज से ऐसे स्कूलों के विलय का निर्णय लिया।सुनवाई के समय राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया, मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह के साथ पेश हुए। जबकि, याचियों की ओर से अधिवक्ता डॉ एल पी मिश्र और गौरव मेहरोत्रा ने दलीलें दीं। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिवक्ता ने भी विलय आदेश के बचाव में दलीलें दीं। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है।