सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षित श्रेणी में आवेदन करने के लिए आयु सीमा में छूट का लाभ उठाने वाले अभ्यर्थियों को बाद में अनारक्षित श्रेणी की सीटों में जगह नहीं मिल सकती। शीर्ष कोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग की ओर से कांस्टेबल (जीडी) पदों की भर्ती से जुड़े मामले में यह टिप्पणी की। भर्ती में आयु सीमा 18-23 वर्ष थी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए तीन वर्ष की छूट थी।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने त्रिपुरा हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए फैसले में कहा, हाईकोर्ट ने जितेंद्र कुमार सिंह बनाम उत्तर प्रदेश (2010) मामले पर गलत तरीके से भरोसा किया था। कोर्ट ने प्रतिवादियों को सामान्य सीटों पर स्थानांतरण से वंचित भी कर दिया। मामले में प्रतिवादियों ने ओबीसी अभ्यर्थियों के रूप में आवेदन कर छूट का लाभउठाया। उन्होंने चयनित सामान्य श्रेणी केउम्मीदवार से अधिक अंक प्राप्त किए, पर चयनित ओबीसी उम्मीदवार से कम रैंक मिली। ऐसे में नियुक्ति न होने पर उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया।हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। कहा, योग्यता के आधार पर अनारक्षित सीटों में उन पर विचार किया जाए। इसके बाद, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी। पीठ ने कहा, जितेंद्र सिंह का मामला उत्तर प्रदेश के विशिष्ट वैधानिक ढांचे पर आधारित था, जो इस तरह के स्थानांतरण की अनुमति देता था। इस मामले में कार्यालय ज्ञापन में छूट का लाभ उठाने वाले उम्मीदवारों पर विचार पर रोक लगाई गई थी।