एक्सरे टेक्नीशियन की भर्ती में भ्रष्टाचार लाखों रुपये की लागत से तैयार हुआ मानव संपदा पोर्टल भी नहीं पकड़ पाया। वेतन की स्वीकृति भी इसी पोर्टल से होती है। ऐसे में इस मामले में कई अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।प्रदेश के हर कर्मचारी का डाटा मानव संपदा पोर्टल पर है। इसकी निगरानी निजी एजेंसी करती है। कर्मचारी का वेतन संबंधित जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक स्वीकृत करते हैं। फिर यह कोषागार में जाता है और वहां से खाते में वेतन भेजा जाता है। इसके लिए ई सेलरी कोड और ईएचआरएमएस कोड भी दर्ज है। एक्सरे टेक्नीशियन भर्ती में फर्जीवाड़ा करने वालों के नाम, पिता का नाम और जन्मतिथि एक ही होने के बाद भी यह पोर्टल फर्जीवाड़ा करने वाले वालों को चिन्हित नहीं कर पाया है। इतना ही नहीं कार्मिकों के तबादला होने पर वरिष्ठता और एक ही स्थान पर कार्यरत होने के बारे में सूची भी इसी पोर्टल के तैयार होती है। एक जिले में तीन साल का मानक मान लिया जाए तो इन सभी एक्सरे टेक्नीशियन की कम से कम तीन बार सूची बनी होगी। इसके बाद भी फर्जीवाड़ा करने वाले नहीं पकड़े जा सके हैं। ऐसे में पोर्टल की उपयोगिता पर भी सवाल उठ रहे हैं।चार बार निकली भर्ती, एक रद्द, तीन पूरी वर्ष 2015 से 2016 के बीच एक्सरे टेक्नीशियन की तीन बार भर्ती निकली है। पहली बार मई 2015 में मांगे गए आवेदन में 25 मई 2016 को परिणाम जारी किया गया। तत्कालीन महानिदेशक (पैरामेडिकल) डा. एससी त्रिपाठी ने 403 एक्सरे टेक्नीशियन की सूची अलगअलग जिलों के सीएमओ को भेजी। इसमें रजिस्ट्रेशन नंबर, उम्मीदवार का नाम, पिता का नाम, जन्म तिथि, जाति की श्रेणी, पता और तैनाती केस्थान का जिक्र है। इस सूची में जो नाम है, उन्हें ही संबंधित जिले में कार्यभार ग्रहण करना था, लेकिन अब खुलासा हुआ है कि सूची में शामिल नाम पर ही अन्य जिलों में एक्सरे टेक्नीशियन ने कार्यभार ग्रहण कर लिया। वे धडल्ले से वेतन लेते रहे। अब मामला खुला तो फरार हो गए हैं।