गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था को संशोधित करते हुए अब कड़ी निगरानी की रणनीति अपनाई गई है। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी। इसके लिए माता-पिता व बच्चे का आधार कार्ड अनिवार्य रहेगा। पूर्व प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश की आयु सीमा 3 से 6 वर्ष और कक्षा-1 के लिए 6 से 7 वर्ष तय कर दी गई है।पहली बार जिलास्तर पर डीएम की अध्यक्षता में क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति गठित की गई है। इस समिति में दर्जन भर से अधिक जिला स्तरीय अधिकारी सदस्य होंगे जो पूरी प्रक्रिया पर नजर रखेंगे। प्रवेश आवेदन व प्रक्रिया के दौरान होने वाले विवादों का त्वरित निस्तारण सीडीओ की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय विवाद समाधान समिति करेगी। महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) कंचन वर्मा ने बच्चे के आवंटित विद्यालय में प्रवेश के बाद विद्यालय को अनिवार्य रूप से उसकी जानकारी आरटीई पोर्टल व यू-डायस पोर्टल पर दर्ज कराते हुए अपार आईडी बनाने के निर्देश दिए हैं।
प्रवेश न देने पर स्कूल की मान
्यता होगी रद्द – फर्जी दस्तावेजों से प्रवेश की कोशिश करने वाले अभिभावकों पर भी कार्रवाई होगी। यही नहीं विद्यालयों की मनमानी पर भी शिकंजा कसा गया है। अगर स्कूल किसी आवंटित बच्चे को बिना उचित कारण के प्रवेश से वंचित करता है तो संबंधित विद्यालय की मान्यता तक रद्द की जा सकती है।