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सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के आदेश से लाखों शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। अगले दो वर्ष के भीतर टीईटी देनी होगी अन्यथा नौकरी छोड़नी पड़ सकती है।इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के आह्वान पर बुधवार से शिक्षकों ने डाक से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पत्र भेजने का अभियान शुरू किया। पहले ही दिन 97,890 शिक्षकों ने पत्र लिखकर अपनी समस्याएं बताईं। 20 सितंबर तक पांच लाख पत्र भेजा जाएगा। शिक्षक संगठन की मुख्य मांग 25 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट देने की है। उनका कहना है कि 55 वर्ष का शिक्षक अब बच्चों को पढ़ाए या खुद परीक्षा की तैयारी करे? केंद्र सरकार चाहे तो शिक्षकों को राहत मिल सकती है। यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो अगले माह दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ा धरना दिया जाएगा। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी।इसके लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल मामले का अध्ययन कर रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से भी अपील की कि वह केरल सरकार की तरह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट मेंपक्ष रखे। संघ के महासचिव जमशेफ शरीफ ने आरोप लगाया कि एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) ने शिक्षकों के साथ छल किया है। केंद्र सरकार को तुरंत इस कानून को वापस लेना चाहिए उन्होंने 2017 का जिक्र करते हुए कहा कि तब भी सुप्रीम कोर्ट ने बिना टीईटी पास किए एक लाख 35 हजार शिक्षा मित्रों की नियुक्ति रट कर दी थी।यदि इस बार भी कोई समाधान नहीं निकला तो लाखों शिक्षक रोजगार खो बैठेंगे और शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा।

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