Sat. Sep 13th, 2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो शिक्षकों के खिलाफ एक ही गलती की शिकायत पर एक को निलंबित करने और दूसरे को माफ करने के बीएसए इटावा के निर्णय पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि बीएसए का रवैया उनकी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यह प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग है। साथ ही अगली सुनवाई पर बीएसए इटावा को व्यक्तिगत रूपसे हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने इटावा के प्रबल प्रताप सिंह की याचिका पर उसके अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमारत्रिपाठी को सुनकर दिया है। एडवोकेट अग्निहोत्री त्रिपाठी का कहना था कि याची और ज्योति राव के खिलाफ सहयोगियों से दुव्र्व्यवहार करने की शिकायत की गई थी, जिस पर बीएसए ने याची को निलंबित कर दिया। उसके खिलाफ जांच शुरू करते हुए आरोप पत्र दे दिया गया जबकि ज्योति राव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बीएसए का यह आदेश भेदभावपूर्ण है क्योंकि याची ने जो स्पष्टीकरण दिया उसे बीएसए ने स्वीकार नहीं किया जबकि उसी मामले में ज्योति राव का स्पष्टीकरण स्वीकार कर लिया गया और उसके खिलाफ समस्त कार्यवाही समाप्त कर दी गई। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि दोनों अध्यापकों ने स्पष्टीकरण दिया था लेकिन बिना कोई कारण बताए मनमाने तरीके से याची के स्पष्टीकरण को असंतोषजनक करार दे दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *