इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कंप्यूटर शिक्षक भर्ती में गैर बीएड धारकों को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने सहायक अध्यापक (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) कंप्यूटर पदों की भर्ती में गैर बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है। भर्ती में बीएड की अनिवार्यता समाप्त करने पर राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब तलब किया है। हालांकि, भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्तूबर को होगी।यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अरुण कुमार की खंडपीठ ने जौनपुर निवासी प्रवीन मिश्रा व अन्य की ओर से वर्ष 2024 में बने छठे संशोधन नियम और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से 2025 में विज्ञापित सहायक अध्यापक भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया है।कोर्ट ने कहा कि इस पद पर नियुक्ति के लिए बीएड की डिग्री अनिवार्य है जबकि राज्य सरकार ने इसे केवल वांछनीय योग्यता बताकर भर्ती की राह आसान करने की कोशिश की। कोर्ट ने साफ किया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।छठे संशोधन नियम व आयोग के विज्ञापन में कहा गया कि कंप्यूटर शिक्षक के पद पर बीएड केवल वरीयता मानी जाएगी, अनिवार्य नहीं जबकि एनसीटीई की अधिसूचना के मुताबिक कंप्यूटर शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए बीएड अनिवार्य योग्यता है। इसके खिलाफ याचियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचियों के अधिवक्ता ने दलील दी कि एनसीटीई की 12 नवंबर 2014 की अधिसूचना में बीएड डिग्री माध्यमिक स्तर के सभी अध्यापक पदों के लिए न्यूनतम योग्यता घोषित की गई है। इसलिए राज्य सरकार इसे बदल नहीं सकती। वहीं, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी कि 2018 की भर्ती में बीएड योग्य अभ्यर्थियों की कमी के कारण बड़ी संख्या में पद रिक्त रह गए थे। छात्रों के हित में संशोधन कर अधिक उम्मीदवारों को अवसर देने की कोशिश की गई।कोर्ट ने सरकार की दलीलों को मानने से इन्कार कर दिया। कहा कि एनसीटीई की अधिसूचना बाध्यकारी है। इसमें किसी भी प्रकार की ढील देना कानून के खिलाफ है। योग्यता में छूट देना शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता है।