प्रदेश में एक्सरे टेक्नीशियन ही नहीं दूसरे पदों पर भी एक तबादले के बाद फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने वालों को पकड़ना मुश्किल होता है। यही वजह है कि ऐसे लोगों को पहली नियुक्ति वहीं दी जाती है, जहां जुगाड़ हो। इसके बाद दूसरे जिले में तबादला करा दिया जाता है।स्वास्थ्य विभाग के कई जिलों में मुख्य चिकित्साधिकारी रह चुके निदेशक बताते हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में तबादला कराकर आए लोगों की गोपनीय तरीके से जांच कराई तो कई इस तरह के केस मिले थे, जो फर्जी दस्तावेज पर नौकरी करते मिले। वह बताते हैं कि ऐसे लोग पहली बार उसी जिले में कार्यभार ग्रहण करते हैं, जहां रैकेट से जुड़ा लिपिक अथवा चिकित्साधिकारी कार्यरत होता है। वे आसानी से सर्विस बुक सहित अन्य पत्रावली भी तैयार करा लेते हैं।करीब छह माह से सालभर के अंदर वे तवादला कराकर दूसरे जिले में चले जाते हैं, जहां उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेज आमतौर पर देखे नहीं जाते हैं। चिकित्साधिकारी के तर्क के आधार पर 2008 में हुई एक्सरे टेक्नीशियन भर्ती के मामले को जोड़ा जाए तो उनकी बात की पुष्टि भी होती है।मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज आंकड़े के मुताबिक 2008 में 79 की जगह 140 लोगों ने नौकरी हासिल की है। इसमें 61 अतिरिक्त हैं। इनके सर्विस रिकॉर्ड को देखा जाए तो ज्यादातर ने दो साल के अंदर तबादले ले लिए हैं। जिसने पहले बलिया में कार्यभार ग्रहण किया था वह बांदा मेंaकार्यरत है और जिसने आगरा में सी कार्यभार ग्रहण किया था वह अब लि वाराणसी या चंदौली में सेवाएं दे रहा क है। खास बात यह है कि इन सभी के पंन नियुक्ति पत्र हाथ से लिख कर जारी ले किए गए हैं।