राजकीय इंटर कालेजों (जीआइसी) में प्रवक्ता भर्ती प्रक्रिया में बीएड डिग्री अनिवार्य किए जाने को लेकर हंगामा खड़ा हो गया है। पिछले 104 वर्षों से यह भर्ती केवल स्नातकोत्तर डिग्री के आधार पर होती आई थी, लेकिन इस बार सरकार ने नियमावली में संशोधन कर बीएड डिग्री को भी अनिवार्य कर दिया है। इस बदलाव से वे सभी अभ्यर्थी प्रभावित हो गए हैं, जिन्होंने केवल स्नातकोत्तर की डिग्री लेकर वर्षों तक इसकी तैयारी की थी। अब छात्रों ने इसको लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।अभ्यर्थियों का कहना है कि वे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने वाले नियमों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन नियमों को अचानक लागू कर देना उनके साथ अन्याय है। चूंकि यह भर्ती चार साल बाद निकली है, ऐसे में यदि सरकार पहले से सूचना देती तो वे समय रहते बीएड भी कर सकते थे। अभ्यर्थियों का तर्क है कि बिना किसी पूर्व नोटिस के इतने कम समय में यह नियम लागू कर देना उन्हें अनुचित रूप से प्रतियोगिता से बाहर कर देता है। कई छात्रों का कहना है कि सरकार चाहे तो इस बार उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दे सकती है और चयनित होने पर अगले दो वर्षों के भीतर बीएड पूरा करने की शर्त रख सकती है। इससे सरकार की नई नियमावली भी लागू रहेगी और छात्रों का करियर भी बबर्बाद नहीं होगा।नियम में बदलाव के बाद लालता प्रसाद समेत 34 अभ्यर्थियों ने सरकार और आयोग से लिखित रूप में गुहार लगाई थी, लेकिन उनकी मांग न मानने पर वे उच्च न्यायालय की शरण में चले गए। प्रतियोगियों का कहना है कि इस मामले की सुनवाई 11 सितंबर को होनी थी, मगर सरकार की ओर से वकील उपस्थित न होने के कारण सुनवाई टल गई। अब उम्मीद जताई जा रही है कि अगली सुनवाई 17-18 सितंबर को हो सकती है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राजकीय इंटर कालेजों में प्रवक्ता के 1516 पदों पर भर्ती के लिए 12 अगस्त से आनलाइन आवेदन शुरू किए थे। यह प्रक्रिया 12 सितंबर को पूरी हो गई।