लखनऊ के माल ब्लॉकमें प्राथमिक विद्यालय अहिंडर की एक शिक्षिका को 19 अगस्त को सस्पेंड कर दिया गया। उन पर अध्यापन कार्य में रुचि न लेने, शिक्षण के अनुरूप मर्यादा के विपरीत आचरण पाए जाने जैसे आरोप में यह कार्रवाई की गई। शिक्षिका को मोहनलालगंज के प्राथमिक विद्यालय जगन्नाथगंज से संबद्ध कर दिया गया। उसके बाद छह सितंबर को शिक्षका को बहाल कर दिया गया। दो दिन बाद सरोजनी नगर ब्लॉक के जूनियर हाईस्कूल माती में तैनाती भी मिल गई। यह सिर्फ एक मामला नहीं है। निलंबन बहाली के जरिए मनचाहे स्कूल में तैनाती का यह खेल प्रदेश के कई जिलों में चल रहा है। आगरा में ऐसे कई मामले सामने आने पर वहां जांच चल रही है।नियमों का उल्लंघन: दरअसल, यहमामला सिर्फ निलंबन और बहाली तक सीमित नहीं है। सभी नियमों को धता बताते हुए अधिकारियों की मिलीभगत से मनचाहे स्कूल में तैनाती का यह बड़ा खेल चल रहा है। अब लखनऊ के ही उदाहरण को लें तो इसमें कई नियमों की अनदेखी की गई। बेसिक शिक्षा नियमावली के अनुसार अगर किसी निलंबित शिक्षक को बहाल किया जाता है तो उसे पहले बंद या एकल विद्यालय में किया जाना चाहिए। माल में प्राथमिक विद्यालय गोड़वा बरौकी, जूनियर हाईस्कूल शंकरपुर और जूनियर हाईस्कूल मुन्नूखेड़ा सहित कई विद्यालय है जहां कोई शिक्षक नहीं है। बहाल करने के बाद संबंधित शिक्षिका को इन स्कूलों में न भेजकर सरोजनी नगर के जूनियर हाईस्कूल माती में तैनाती दे दी, जहां पहले से छह शिक्षक तैनात है। इनको मिलाकर अब सात शिक्षक हो गए। बहाली के बाद सरोजनीनगर के जिस स्कूल में भेजा गया, वह शहर के नजदीक है और वहां का एचआरए भी ज्यादा है। माल में सबसे कम 1,840 रुपये एचआरए मिलता है। वहीं, सरोजनी नगर में 5,520 एचआरए मिलेगा। ऐसा ही खेल आगरा में जुलाई में पकड़ में आया था। वहां ऐसे कई मामले सामने आए तो आगरा की एडी बेसिक ऐश्वर्या लक्ष्मी ने बीएसए से स्पष्टीकरण मांगा। उसके बाद सीडीओ ने अपने स्तर से जांच की।जांच करवाई जा रही इस बारे में लखनऊ के बीएसए राम प्रवेश कहते है कि रेकॉर्ड देखेंगे तब इस बारे में कुछ बता पाएंगे। वहीं आगरा की एडी बेसिक ऐश्वर्या लक्ष्मी का कहना है कि मामला संज्ञान में आया था। बीएसए से जवाब भी मांगा था। उसके बाद सीडीओ इस मामले की जांच कर रहे हैं। महानिदेशक कंचन वर्मा का कहना है कि आगरा में आए, मामलों की जांच करवाई जा रही है। बाकी जगह मामला संज्ञान में आएगा तो उसके अनुसार कार्यवाही होगी।
महानिदेशक ने उठाए थे मंशा पर
सवाल ये तो कुछ मामले है जो सामने आ गए। खुद महानिदेशक कंचन वर्मा ने पिछले साल समीक्षा की थी तो उसमे यह बात सामने आई थी कि बड़ी संख्या में निलंबित होने वाले शिक्षक बिना किसी सजा के बहाल हो जाते है। प्रदेश में 41% ऐसे शिक्षक थे जो बिना किसी दंड के बहाल हो गए। कई जिले तो ऐसे थे 70% से ज्यादा शिक्षक बिना दंड के बहाल हो गए थे। तब भी उन्होंने सभी बीएसए को निर्देश दिए थे। उन्होंने यह आशंका भी जताई थी कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बिना पर्याप्त आधार के छोटे-मोटे आरोपो में सस्पेंड कर दिया जा रहा है। उसके बाद उनको बिना सजा के बहाल कर दिया जाता है। यह भी निर्देश दिए थे कि बिना पर्याप्त आधार के सस्पेंड न किया जाए। अगर सस्पेंड किया जाता है तो उसकी गहनता से जांच हो।