जिले के राजकीय विद्यालय शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। कहीं हिंदी के शिक्षक गणित पढ़ा रहे हैं, तो कहीं गणित के शिक्षक विज्ञान पढ़ाने के लिए मजबूर हैं। कई विद्यालयों में प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापकों के पद वर्षों से खाली हैं, इसके चलते शिक्षण कार्य प्रभारी प्रधानाचार्यों और सीमित संख्या में मौजूद शिक्षकों के सहारे चल रहा है। जनपद में 59 राजकीय विद्यालय स्थापित हैं। इनमें सात राजकीय इंटर कॉलेज, आठ राजकीय बालिका इंटर कॉलेज और 40 राजकीय हाईस्कूल शामिल हैं। इनमें से सात इंटर कॉलेजों में केवल तीन प्रधानाचार्य तैनात हैं, जबकि चार कॉलेज प्रभारी प्रधानाचार्य के भरोसे संचालित हो रहे हैं। इसी तरह आठ राजकीय बालिका इंटर कॉलेजों में केवल एक प्रधानाचार्या तैनात हैं, सात पद रिक्त हैं। हाईस्कूल स्तर के विद्यालयों की स्थिति भी बेहद खराब है। चालीस हाईस्कूल के सापेक्ष 14 पद पर ही प्रधानाध्यापक तैनात हैं, जबकि 26 विद्यालय प्रभारी प्रधानाध्यापकों के सहारे संचालित हो रहे हैं।शिक्षकों की स्थिति पर गौर करें तो प्रवक्ताओं और सहायक अध्यापकों की भी भारी कमी है। राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता के कुल 148 पद स्वीकृत हैं,जबकि उनमें से केवल 83 पर ही नियुक्तियां हुई हैं। शेष 65 पद खाली हैं।सहायक अध्यापकों की स्थिति और भी चिंताजनक है। 434 पदों के मुकाबले महज 224 सहायक अध्यापक ही तैनात हैं, जबकि 210 पद रिक्त पड़े हैं। यही वजह है कि शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए कहीं हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षक को गणित का पीरियड लेना पड़ रहा है तो कहीं गणित का शिक्षक विज्ञान पढ़ा रहा है। इस कारण बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।