प्रदेश के मूक-बधिर छात्रों की परेशानियों को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने हर माध्यमिक विद्यालय से कम से कम एक अध्यापक को सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव तैयार किया।यह प्रस्ताव राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के निदेशक को भेजा जाएगा। वर्तमान में 29,527 माध्यमिक विद्यालय यूपी बोर्ड से संचालित हैं। इन विद्यालयों में कक्षा नौ से 12 तक के 1.50 करोड़ से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं। इसमें हजारों में मूक-बधिर छात्र हैं।इन मूक-बधिर विद्यार्थियों की मदद करने वाला एक भी प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध नहीं है, जो उनकी भाषा समझ सके और उन्हें सहज रूप से पढ़ा सके। उन्हें भूख लगी है या प्यास, वह बीमार हैं, इसकी समझ किसी भी अध्यापक में नहीं होने से उन्हें परेशानी होती है।परिषद का मानना है किप्रशिक्षित अध्यापक मूक-बधिर छात्रों की समस्याओं को समझ पाएंगे और उन्हें बेहतर तरीके से शिक्षा उपलब्ध करा सकेंगे। इस पहल से विशेष छात्रों को पढ़ाई में किसी तरह की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। बेसिक शिक्षा परिषद ने दिखाया रास्ता – बेसिक शिक्षा परिषद पहले ही अपने कुछ अध्यापकों को सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण दिला चुका है। इस पहल से प्राथमिक स्तर पर पढ़ रहे मूक-बधिर छात्रों को काफी राहत मिली है। अब माध्यमिक शिक्षा परिषद भी उसी मॉडल को अपनाने जा रहा है, ताकि उच्च कक्षाओं में पढ़ रहे विशेष छात्र पीछे न छूटें। अपर निदेशक माध्यमिक एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवब्रत सिंह ने प्रशिक्षण की पुष्टि की है।