स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश को धता बताने के लिए नई नई तरकीब निकाल ले रहे हैं। हालत यह है कि गलत ग्रेड पे लेने के मामले में सत्यापन के दौरान भी खेल कर दिया गया है। जिन मलेरिया व फाइलेरिया अधिकारियों की सेवानिवृत्ति 30 सितंबर व अक्तूबर में है, उनका सत्यापन ही नहीं कराया गया है। अब अपने बचाव में संबंधित जिलों से सीएमओ नए-नए तर्क देते हुए अपर निदेशक को पत्र भेज रहे हैं।प्रदेश में मलेरिया और फाइलेरिया विभाग में शासनादेश के विपरीत नॉन फंक्शनल ग्रेड पे लिया जा रहा है। जिन मलेरिया व फाइलेरिया निरीक्षकों का ग्रेड पे 2000 है। 10 वर्ष बाद उन्हें 2400 और 16 वर्ष बाद 2800 और 26 वर्ष बाद 4200 दिया जाना चाहिए था, लेकिन विभागीय मिलीभगत से ज्यादातर निरीक्षकों को 2400 के बजाय सीधे 2800 और 2400 से सीधे 4200 ग्रेड पे दे दिया गया है।अमर उजाला ने 23 दिसंबर 2024 को ग्रेड पे का खेल 2400के बजाय 4200 का भुगतान शीर्षक से खबर प्रकाशित कर पूरे मामले का खुलासा किया। खबर छपने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया। जांच शुरू हुई। सभी सीएमओ से रिपोर्ट मंगाई गई। इसके बाद दो सितंबर 2025 को संचारी रोग एवं वीवीडी निदेशक ने सभी जिलों के सीएमओ को पत्र भेजा। इसमें कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामलेSमें पूरी रिपोर्ट तलब की है। ऐसे में अपने जिलों में कार्यरत जिला मलेरिया अधिकारी, सहायक मलेरिया अधिकारी, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक, मलेरिया निरीक्षक, फाइलेरिया निरीक्षक, फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी, बायोलॉजिस्ट की सेवा पुस्तिका का सत्यापन कराया जाए।आठ सितंबर से 15 सितंबर के बीच हर दिन 12 से 14 जिलों सेसेवा पुस्तिका लेकर कार्मिक मलेरिया मुख्यालय जवाहर भवन पहुंचे और यहां सत्यापन भी कराया गया। लेकिन, सत्यापन के दौरान भी खेल हो गया। सीएमओ कार्यालय से चहेते निरीक्षकों व अधिकारियों की सेवा पुस्तिका सत्यापन के लिए भेजी ही नहीं गई। उन्हें बचा लिया गया।सूत्रों की मानें तो उन्नाव, सीतापुर, मुजफ्फरनगर, आगरा, बरेली, गोरखपुर सहित दो दर्जन से ज्यादा जिलों के उन निरीक्षकों व अधिकारियों की सेवा पुस्तिका नहीं भेजी गई है, जिनकी सेवानिवृत्ति 30 सितंबर अथवा अक्तूबर में है। ऐसे में अपर निदेशक ने एक बार फिर सभी सीएमओ को चेतावनी दी है कि उनके अधीन कार्यरत जिन निरीक्षकों का सत्यापन नहीं हुआ है, उसे जल्द से जल्द करा लें।