Thu. Oct 9th, 2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा के आधार पर की गई नियुक्ति को नियमित करने में कथित मनमानी पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने एटा के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) को तलब कर उनसे पूछा है कि किस प्रावधान के तहत अनुकंपा नियुक्ति निश्चित वेतन पर की जा रही है। मामला 1 के गंभीर आरोपों याची की अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति को नियमित करने में क्या कानूनी अड़चन आ रही है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने आशीष कुमार की याचिका पर दिया है। आशीष कुमार सिंह ने चतुर्थ श्रेणी पद पर अनुकंपा नियुक्ति को नियमित करने और 15 सितंबर 2007की प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से सभी परिणामी लाभदिए जाने की मांग कर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। अधिवक्ता ने दलील दी कि बीएसए ने याची के समान मामले में दिनेश कुमार नाम के एक व्यक्ति का मर्जी के अनुसार उसकी सेवाओं को प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से नियमित कर दिया है। सभी परिणामी लाभ दिए। वहीं, याची को उसके वैध हक से वंचित किया जा रहा रहा है। है। याची को करीब 18 साल बाद भी केवल 2550 रुपये के निश्चित वेतन पर जीवनयापन के लिए छोड़ दिया गया है। अल्प करने हाईकोर्ट ने बीएसए को 15 अक्तूबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष स्पष्टीकरण के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है। साथ ही रजिस्ट्रार अनुपालन व प्रतिवादी वकील को इस आदेश को तत्काल बीएसए को प्रेषित करने का निर्देश दिया है । प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि केवल अवमानना कार्यवाही शुरू न करने, उसे खत्म करने या आरोपी को बरी करने जैसे आदेशों के खिलाफ विशेष अपील पोषणीय नहीं है। अपील तभी जब अवमानना में दोषी ठहराकर किसी को सजा दी गई हो या सुनवाई के दौरान एकल पीठ मूल विवाद के अधिकारों पर टिप्पणी कर दे। मामला 2 पोषणीय होगी,इस टिप्पणी संग मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने फिरोजाबाद निवासी अलोक यादव की ओर से दाखिल विशेष अपील खारिज कर दी। मामले में एकल पीठ ने अवमानना याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इसमें किसी तरह की जानबूझकर अवहेलना नहीं पाई गई। इस आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अपील दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता ने तस्नीम फातिमा बनाम अमित मोहन मिश्रा का हवाला देकर अपील को पोषणीय बताने की कोशिश की लेकिन खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के मिदनापुर पीपुल्स कोऑपरेटिव बैंक बनाम चुन्नीलाल नंदा फैसले का जिक्र कर कहा कि ऐसे आदेशों के खिलाफ अपील का कोई प्रावधान नहीं है।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि अवमानना की सुनवाई के दौरान एकल पीठ अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़कर मूल विवाद पर फैसला देती है तो उस हिस्से को अपील में चुनौती दी जा सकती है।

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