प्रदेश के माध्यमिक विद्यालय इस समय शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की कमी से जूझ रहे हैं। इसका असर न केवल पठन-पाठन पर पड़ रहा है बल्कि विद्यालयों की प्रशासनिक व्यवस्था भी चरमराई हुई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग अब शिक्षकों के खाली पदों को भरने और प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नतियां करने की तैयारी कर रहा है।प्रदेश के 4512 एडेड माध्यमिक विद्यालयों में करीब 65 हजार शिक्षक कार्यरत हैं, लेकिन इनमें शिक्षकों के लगभग 25 हजार पद खाली हैं। हालात यह हैं कि एडेड कालेजों में 90 प्रतिशत कार्यवाहक प्रधानाचार्य जिम्मेदारी संभाल रहे हैं क्योंकि आयोग से स्थायी प्रधानाचार्यों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। इसी तरह 2441 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों (1486 हाईस्कूल और 955 इंटर कालेज) में भी शिक्षकों की भारी कमी है। इन विद्यालयों में शिक्षकों के 11 हजार से अधिक पद खाली हैं। 450 से अधिक इंटर कालेजों में पदोन्नति के आधार पर भरे जाने वाले प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं। इनमें भी कार्यवाहक प्रधानाचार्यों से ही काम चल रहा है। एलटी ग्रेड से प्रवक्ता पद पर पदोन्नतियां कई वर्षों से अटकी हुई हैं। वरिष्ठता सूची तैयार न होने की वजह से प्रवक्ताके पद खाली हैं। अब स्थिति और पेचीदा हो गई है क्योंकि हाल ही में पदोन्नति में शिक्षकों का कोटा 83 प्रतिशत से घटाकर 66 प्रतिशत कर दिया गया है और इसमें खंड शिक्षा अधिकारियों को शामिल कर दिया गया है।राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील भड़ाना का कहना है कि सीधी भर्ती से तो प्रधानाचार्यों की नियुक्ति हुई है, लेकिन पदोन्नति कोटे से अब तक नियुक्तियां लंबित हैं। एलटी ग्रेड से प्रवक्ता बनने का रास्ता भी बंद हो गया है और पद रिक्त रह गए हैं।वहीं, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने कहा कि एडेड कालेजों में स्थायी प्रधानाचार्य न होने से प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई है। कई बार मांग करने के बावजूद शिक्षा विभाग ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए हैं।