स्कूल अब सिर्फ शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि सामूहिक विकास का मंच भी बनेगा। प्रदेश के हर राजकीय माध्यमिक विद्यालय में शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही बच्चों की पढ़ाई, खेल, संस्कार और स्कूल के विकास की जिम्मेदारी तय होगी। इसके लिए सभी जगह विद्यालय प्रबंध एवं विकास समिति (एसएमडीसी) का गठन किया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने नई व्यवस्था लागू कर दी है, जिसके तहत हर शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के दो सप्ताह के भीतर एसएमडीसी का गठन अनिवार्य होगा।यह समिति हर महीने बैठक करेगी, जिसमें सबसे अधिक और सबसे कम अंक पाने वाले छात्रों को बुलाया जाएगा ताकि उनकी समस्याएं और सुधार के अवसर पर चर्चा हो सके। खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले छात्रों को भी बैठक में आमंत्रित किया जाएगा। शैक्षिक प्रगति, संसाधन, और विद्यार्थियों की बेहतरी पर निर्णय लेने के साथ समिति समय-समय पर शिक्षकों को भी बुलाकर चर्चा करेगी। जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य, निर्माण, समाज कल्याण, वन या खेल विभाग के अधिकारियों को भी बैठक में बुलाया जा सकेगा। इस समिति का कार्यकाल एक शैक्षिक वर्ष का होगा।इसमें प्रधानाचार्य पदेन अध्यक्ष, वरिष्ठतम शिक्षक उपाध्यक्ष और कार्यकारिणी अध्यापकों में से सदस्य सचिव रहेंगे। हर कक्षा के सबसे अधिक और सबसे कम अंक पाने वाले छात्रों के अभिभावक, विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान के एक-एक शिक्षक, पंचायत या शहरी निकाय के दो सदस्य, अनुसूचित जाति व जनजाति या कमजोर वर्ग से एक सदस्य, शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यक समुदाय से एक सदस्य, महिला संगठन समूह से एक सदस्य और विद्यालय के सेवित क्षेत्र (हाईस्कूल में पांच किमी, इंटरमीडिएट में सात किमी) के अंतर्गत आने वाली ग्राम या वार्ड शिक्षा समितियों के सचिव इसमें रहेंगे। प्रधानाचार्य को यह अधिकार होगा कि वे चिकित्सा, अभियांत्रिकी, साहित्य, कला या संस्कृति से जुड़े तीन विशेषज्ञों को नामित कर सकें।