लखनऊ – इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र व राज्य सरकार को आदेश दिया है कि प्रदेश की सभी अर्ह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को चार माह में ग्रेच्युटी भुगतान का लाभ अधिनियम 1972 के तहत दिया जाए। न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने यह फैसला बहराइच की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कोकिला शर्मा की याचिका पर दिया। याचिका में अन्य प्रदेशों की तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाए जाने समेत ग्रेच्युटी का भी लाभ दिए जाने के निर्देश देने का आग्रह किया गया था। साथ ही यह भी गुजारिश की गई थी कि मानदेय निर्धारित न्यूनतम पारिश्रमिक से कम नहीं होना चाहिए। याची के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मनीबेन मगनभाई भारया के मामले में गुजरात सरकार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को ग्रेच्युटी भुगतान का लाभ देने का आदेश दिया है। ऐसे में यह लाभ उत्तर प्रदेश में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को दिया जा सकता है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद केंद्र व राज्य सरकार को आदेश दिया कि प्रदेश की सभी अर्ह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को चार माह में ग्रेच्युटी भुगतान का लाभ दिया जाए। प्रदेश में अभी 1.89 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 1.66 लाख सहायिकाएं कार्यरत हैं।