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शिक्षक / शिक्षिका / कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के सम्बन्ध में।

विभिन्न विभागीय कार्यक्रमो

02; में अपेक्षित परिणाम प्राप्त न होने के कारण अथवा विभागीय आदेशों की अवहेलना के कारण शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मियों के विरूद्ध आपके स्तर से कार्यवाही की जाती है। संज्ञान में आया है कि कार्यवाही के नाम पर शिक्षकों का वेतन अवरूद्ध किया जाता है। उ०प्र० सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 तथा उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद कर्मचारी वर्ग नियमावली 1973 में वेतन अवरूद्ध करना किसी प्रकार के दण्ड के रूप में उल्लिखित नहीं है।
“वेतन या वेतन वृद्धि रोकना अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रकिया से शासित होता है अतः जब तक स्थापित नियमों के अधीन औपचारिक आदेश निर्गत न हो, किसी भी कार्मिक के वेतन अथवा वेतन वृद्धि को रोका नहीं जायेगा, अन्यथा यह दायित्व निर्धारण का विषय होगा।

नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की समस्त प्रक्रिया पूर्ण किये जाने के पश्चात् ही वेतन अथवा वेतन वृद्धि रोकी जायेगी और ऐसी कार्यवाही अत्यन्त गम्भीर प्रकरण में ही की जायेगी। पुनः बल दिया जाता है कि शासन के कार्मिक विभाग द्वारा निलम्बन एवं अनुशासनात्मक प्रक्रिया के अधीन एवं निर्धारित प्रपत्रों आदि पर ही कार्यवाही की जाये, अन्यथा कार्यवाही करने वाले अधिकारी के विरूद्ध भी नियम विरूद्ध कार्य करने की कार्यवाही की जायेगी। किसी तात्कालिकता के प्रकरण में जिलाधिकारी की अनुमति से उक्त कर्मचारी को प्रतीक्षा में रखा जा सकता है, जिसका स्थायी अनुमोदन निदेशक बेसिक शिक्षा द्वारा तथ्यों के आधार पर अनुमोदित किया जायेगा।

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