Fri. Sep 20th, 2024

भीषण गर्मी और उमस से एक ओर स्कूलों में बच्चे और शिक्षक बेहोश हो रहे हैं। स्कूलों की समस्या को दूर कर व्यवस्था को सुचारू करने के बजाए अधिकारी संवेदनहीनता पर उतारू है। यही नहीं इस पर तुगलकी फरमान जारी कर रहे हैं। बीएसए का यह चर्चा का विषय बना है। बेसिक शिक्षा मंत्री के जिले से जारी यह फरमान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा। जिस पर तरह-तरह की टिप्पणियां भी आ रहीं है।जुलाई माह में भीषण उमस भरी गर्मी से आम से लेकर खास सभी परेशान रहे। सबसे ज्यादा परेशान परिषदीय स्कूलों के बच्चे रहे। उमस भरी गर्मी से आए दिन स्कूलों में बच्चे और शिक्षक-शिक्षिकाएं गश खाकर गिरते रहे। कारण गर्मी के साथ ही बिजली की प्रबंधन ठीक न होना बताया गया। विभाग के मुखिया के द्वारा इस पर सुधार न करते हुए एक अगस्त को तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया। जिसमें कहा गया कि जिन अध्यापक व अध्यापिका और छात्र-छात्राओं की गर्मी के कारण तबियत खराब हो रही है तो उनकों तत्काल समीप के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ले जाकर उपचार कराया जाए। तबीयत खराब होने वाले शिक्षक-शिक्षका और विद्यार्थी का फोटो समाचार पत्रों को न भेजकर सम्बन्धित बीईओ और बीएसए के मोबाइल पर भेंजे। आगे से अगर किसी भी स्कूल का फोटो समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ तो सम्बन्धित के विरुद्ध कठोर दंठात्मक कार्रवाई की जाएगी। बीएसए के इस आदेश पर शिक्षक नेताओं में रोष व्याप्त है। जूनियर शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री नरेश कौशिक ने कहा कि अपनी कमियां छुपाने के लिए बीएसए ने यह आदेश जारी किया है।

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