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प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की कम होती संख्या को लेकर ऐसे विद्यालयों का पास के विद्यालयों में संविलियन (मर्ज) कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके तहत 50 से कम नामांकन वाले विद्यालयों को चिह्नित कर उनके पास के विद्यालय में भेजने को लेकर सभी जिलों में रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। वहीं, जर्जर विद्यालयों को भी एक महीने में ध्वस्त कराने की प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है। हाल ही में सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक व बेसिक शिक्षा अधिकारियों की बैठक में यह जानकारी दी गई कि इस सत्र में बच्चों की संख्या 1.49 करोड़ है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा विद्यालयों को पूर्ण रूप से क्रियाशील व औचित्यपूर्ण बनाने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्र ने अपेक्षा की है कि कम नामांकन वाले विद्यालयों का पास के अन्य विद्यालयों में मर्ज करने की संभावना देख ली जाए। 50 से कम नामांकन वाले प्राथमिक विद्यालयों से जुड़ी प्रक्रिया प्राथमिकता पर पूरी की जाए। इसे ध्यान में रखकर कार्ययोजना तैयार की जाए कि उस ग्राम पंचायत में मानक विद्यालय है या नहीं। किस विद्यालय को पास के अन्य विद्यालय में मर्ज किया जा सकता है। बच्चों को कितनी दूरी तय करनी होगी, भवन व शिक्षकों, परिवहन की उपलब्धता, नहर, नाला, सड़क या हाईवे आदि को देखते हुए हर विद्यालय के लिए रिपोर्ट तैयार की जाए।महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा है कि ऐसे सभी विद्यालयों के बारे में जिले की एक संयुक्त बुकलेट तैयार की जाए। ताकि 13 या 14 नवंबर को बीएसए की प्रस्तावित बैठक में इस पर चर्चा की जा सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि अभियान चलाकर जर्जर विद्यालयों के भवनों का ध्वस्तीकरण एक महीने में किया जाए। यदि विद्यालय का भवन जर्जर है लेकिन पढ़ाई के लिए पर्याप्त संख्या में क्लास हैं तो फिर भवन पुर्ननिर्माण के लिए प्रस्ताव नहीं भेजा जाएगा।

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